तीसरा खंबा

वसीयत करें और पंजीकृत कराएँ।

Willसमस्या-
विनोद ने गुड़गाँव, हरियाणा से पूछा है-

म तीन भाई है और हमारे पिता ने दो शादियाँ की हैं।  हमारी पहली माँ से एक पुत्र है और उनके देहांत के सोलह साल बाद पिता ने दूसरा विवाह किया। वर्तमान जीवित माँ से दो पुत्र है। हमारा दादा दादी और सभी चाचा चाची इत्यादि,  बड़े भाई को माँ ना होने के कारण सदा से ही बहुत प्रेम करते थे।  इसलिए पहला बड़ा भाई सदा से ही अपने शादी (1984) के बाद से ही अलग गाँव में उनके साथ रह रहा था। किन्तु अब दादा दादी का दस साल पहले देहांत हो गया है। दादा दादी के देहांत से पूर्व, पूरे परिवार वालों (हमने, पिता ने व चाचा चाचियों) ने अपनी पूरी पुस्तैनी जमीन बड़े भाई को जोतने के लिए दे रखी थी। पिता ने यह विवाह 16 वर्ष के बाद परिवार वालों कि इच्छा के विरुद्ध किया है इसलिए गाँव में कोई भी हम दोनों भाइयों को नहीं चाहता है।  हम दोनों शेष भाई अपने पिता और माँ के साथ अलग एक कस्बे में रह रहे हैं। पिता और हमने अपनी सारी पुस्तैनी व अन्य जमीन का बराबर हिस्सा करके अपने बड़े भाई के नाम 9 साल पहले करवा दी है। पिता सरकारी नौकरी से करीब 10 साल पहले रिटायर हो गए है और दोनों हमारे साथ रहते है। हम दोनों भाई सदा से माता पिता के साथ रहे हैं इसलिए हमने अभी तक की अपनी सारी अर्जित सम्पति माँ के ना करवा दी थी. माँ के उम्र अब लगभग 70 वर्ष के करीब है
कृपया समझाएँ कि क्या माँ कि मृत्यु के बाद बड़े भाई का तो इस पर कोई हक़ तो नहीं हो जाएगा? यदि होगा, तो क्या केवल साधारण वसीयत लिखवाने से काम चल जाएगा?

समाधान-

प की पुश्तैनी जायदाद का बँटवारा आप लोग कर चुके हैं। जो संपत्ति आप के हिस्से में आई है उसे आप अपनी माँ के नाम कर चुके हैं। आप की माता जी के देहान्त के उपरान्त आप की संपत्ति उत्तराधिकार में आप को तथा आप के पिता को ही प्राप्त होगी। इसी तरह आप के पिता की जो सम्पत्ति होगी वह उन के देहान्त के उपरान्त आप दोनों भाइयों और आप की माता जी और पहली माता जी के पुत्र को प्राप्त होगी।

स कारण यह आवश्यक है कि आप की माता तथा आप के पिता उन की जो भी वर्तमान में व्यक्तिगत सम्पत्तियाँ हैं उन के संबन्ध में अलग अलग वसीयत निष्पादित करें और उन वसीयतों को उप पंजीयक के कार्यालय में पंजीकृत करवा लें। इन वसीयतों के निष्पादन और पंजीकरण से आप को उन के देहान्त के बाद संपत्ति के प्रशासन में समस्या उत्पन्न नहीं होगी तथा उन वसीयतों के आधार पर आप उन सम्पत्तियों के स्वामी माने जाएंगे और राजस्व विभाग व अन्य विभागों में उन्हें अपने नाम करवा सकेंगे।

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