तीसरा खंबा

वसीयत के आधार पर नामांतरण के पहले सभी उत्तराधिकारियों की आपत्ति सुनना आवश्यक।

Willसमस्या-

राम कैलाश ने गोण्डा, माधोपुर, उत्तरप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरे पिताजी 4 भाई थे, सब से बड़े भाई लाऔलाद थे जिस के कारण उन की मृत्यु के बाद जायदाद मेरी बड़ी माँ के नाम उत्तराधिकार से नामान्तरण होने से आ गई। 2009 में बड़ी माँ ने मेरी माँ के नाम बैनामा कर दिया और उस का नामान्तरण भी हो गया। अब चकबन्दी चल रही है। अभी मेरे चाचा कहते हैं कि मेरे बड़े भाई ने उन की जायदाद मुझे 1999 में वसीयत कर दी थी। यह वसीयत कोरे कागज पर है जिस का पंजीयन धारा 40 के अन्तर्गत 2007 में दूसरी तहसील से कराया है। मेरी माताजी की भी मृत्यु हो गयी है नामान्तरण हमारे नाम होना चाहिए लेकिन पर्चा पंच में चकबन्दी लेखपाल ने पैसा ले कर उन का वसीयतनामा दिखा दिया है। मैं क्या कर सकता हूँ?

समाधान-

राजस्व रिकार्ड में वर्तमान में संपत्ति आप की माँ के नाम है। वैसी स्थिति में वसीयत के आधार पर रिकार्ड में कोई भी बदलाव करने के पहले वसीयत पर सभी वारिसान की सहमति आवश्यक है। फिर पहले जो नामान्तरण हो चुके हैं उन्हें निरस्त कराना पड़ेगा जो कि केवल अपील पर ही संभव हैं। यदि अन्य वारिस आपत्ति करते हैं तो वसीयत के अनुसार कोई नामान्तरण किया जाना संभव नहीं है।

दि वसीयत के आधार पर कोई नामान्तरण होता है तो उस की अपील की जा सकती है। उस अपील में यह आधार लिया जाना चाहिए कि जब आप के चाचा के पास वसीयत थी तो उस वसीयत के आधार पर तुरन्त नामान्तरण क्यों नहीं कराया गया। उसे पहले दूसरी तहसील में जा कर पंजीकृत क्यों कराया गया। जब कि धारा 40 में वसीयत तो वहीं पंजीकृत होनी चाहिए जहाँ भूमि स्थित है। इस तरह यह संदेह उत्पन्न होता है कि वसीयत फर्जी तो नहीं बनाई गई है। आप को अपनी सारी आपत्तियाँ लिख कर चकबन्दी लेखपाल को देनी चाहिए और उस की प्रति तहसीलदार और कलेक्टर को देनी चाहिए।

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