तीसरा खंबा

वसीयत जरूरी नहीं यदि उत्तराधिकार में संपत्ति वसीयती को ही मिल रही हो

समस्या-

मेरी पत्नी अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। मेरे ससुर को अपनी पैतृक जमीन में 10 वीघा अपने हिस्से में जमीन पड़ती है जिसका अभी सरकारी बंटवारा नहीं हुआ है। आपस में सभी ने पारिवारिक बंटवारा कर लिया है। मेरे सास ससुर अपनी जमीन अपनी लडकी मेरी पत्नी को देना चाहते हैं। इसलिए पूरा परिवार मेरे सास ससुर के खिलाफ है हमेशा विवाद करते हैं। लेकिन मेरे सास ससुर ने अपने परिवार रजिस्टर में अपनी लडकी और मेरे दोनों बच्चों को दर्ज करा लिया है। मुझे ये लगता है कि कहीं जमीन चली न जाये इसलिए मैंने सास ससुर से कहा कि या तो अपनी लडकी के नाम वसीयतनामा करा दो या अपना खाता अलग करा लो। लेकिन मेरे सास ससुर को बात समझ में नहीं आ रही। वो कहते हैं वसीयत अभी नहीं करेंगे बाद देखेंगे और न ही  अपना खाता अलग करा रहे। मुझे डर है कि कहीं सास ससुर के मरने के बाद जमीन हाथ से न निकल जाए। कृपया सही मार्गदर्शन देने का कष्ट करे कोई ऐसा तरीका बताए कि सास ससुर के मन की हो जाये और जमीन भी मेरे हाथों से न निकलने पाये।

-गजेन्द्र सिंह, ग्राम करीमगंज, जिला मैनपुरी (उत्तर प्रदेश)

समाधान-

उत्तर प्रदेश में किसी पुरुष की कृषि भूमि के उत्तराधिकार के मामले में वसीयत न होने की स्थिति में पत्नी, पुत्र तथा किसी मृत पुत्र की संतानों तथा अविवाहित पुत्री को समान हित प्राप्त होंगे। इनमें से किसी के भी नहीं होने पर पुरुष के माता-पिता को समान हित प्राप्त होगा और उनमें से कोई जीवित नहीं हो तो विवाहित पुत्री को हित प्राप्त होगा। अब आप स्वयं इससे हिसाब लगा लें कि यदि कोई वसीयत नहीं की जाती है तो आपके ससुर की संपत्ति किसे प्राप्त होगी। यदि इस हिसाब से यह संपत्ति आपकी पत्नी को उत्तराधिकार में प्राप्त होने वाली है तो फिर वसीयत की कोई आवश्यकता ही नहीं है।

वसीयत करने में आप के ससुर जी को किसी तरह की आपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्यों कि वसीयत तो तब प्रभावी होगी जब वे नहीं रहेंगें। उनके जीवनकाल में तो वे ही उनकी संपत्ति के स्वामी रहेंगे।

वसीयत कहीं भी किसी भी उपपंजीयक के यहाँ पंजीकृत कराई जा सकती है। यह आवश्यक नहीं है कि वह उसी उप पंजीयक के कार्यालय में पंजीकृत कराई जाए जहाँ वह भूमि स्थित है। उसे पंजीकृत करवा कर उप पंजीयक के कार्यालय में सुरक्षित भी रखा जा सकता है और किसी व्यक्ति को भी दिया जा सकता है जो उसे वसीयतकर्ता के जीवन काल में सुरक्षित और गुप्त रखे।

आपस में बंटवारे का कोई महत्व नहीं है। वह केवल कब्जे का बंटवारा है। यदि आप के ससुर जी के जीवनकाल में सरकारी बंटवारा नहीं होता है तो बाद में यदि भूमि आपकी पत्नी को उत्तराधिकार में मिलती है तो उन्हें बंटवारा कराना पड़ेगा। इसके सिवा बंटवारे का कोई अन्य प्रभाव नहीं है। यह निर्णय तो आप के ससुर जी ही लेंगे कि इस समस्या से वे कैसे निपटेंगे।

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