तीसरा खंबा

वसीयत पर आपत्ति होने पर राजस्व अधिकारी नामान्तरण नहीं कर सकता।

समस्या-

राकेश ने सिरसा, हरियाणा से समस्या भेजी है कि-

रियाणा में राजस्व विभाग ने एक नया नियम बनाया है जिस में वसीयत के आधार पर इंतकाल करवाने के लिये वसीयत करने वाले के सभी वारिसों का शपथ पत्र या उनकी गवाही जरूरी है इस से जो व्यक्ति वसीयत से सहमत नहीं होता है वह ना ही गवाही देता है और ना ही शपथ पत्र देता है जिस से वसीयत का कोई महत्व नहीं रहता है। क्या इस नियम के लिये मुझे रिट याचिका या जनहित याचिका दायर करनी चाहिए? या इसका कोई और हल है? रिट याचिका या जनहित याचिका दायर करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान-

रिट याचिका या जनहित याचिका आप की समस्या का हल नहीं है। आप की समस्या वास्तव में कोई समस्या है ही नहीं। यह नियम पूरी तरह उचित है।

म तौर पर किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरान्त उत्तराधिकार के नियम के अनुसार राजस्व अधिकारी उस के उत्तराधिकारियों के नाम नामांतरण कर देते हैं, यह सामान्य नियम है। इस सामान्य नियम को वसीयत चाहे वह पंजीकृत हो अथवा अपंजीकृत बाधित करती है। जब उत्तराधिकारियों में से कोई अथवा अन्य व्यक्ति वसीयत प्रस्तुत करता है तो यह उन का दायित्व है कि वे अन्य उत्तराधिकारियों से उस पर अपनी आपत्तियाँ प्रस्तुत करने को कहें। राजस्व अधिकारी इस में भी वसीयत प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को यह सुविधा देते हैं कि वह स्वयं शपथ पत्र या सहमति पत्र के रूप में अनापत्ति ला कर प्रस्तुत कर दे।

दि वसीयत पर कोई भी आपत्ति प्रस्तुत होती है तो उस आपत्ति पर वसीयत के वैध और प्रभावी होने का निर्णय देने का अधिकार राजस्व अधिकारियों को नहीं है। यह अधिकार केवल सिविल कोर्ट को अथवा सिविल कोर्ट के अधिकारों से युक्त राजस्व न्यायालयों को ही है। इस कारण राजस्व विभाग का उक्त निर्देश उचित ही है।

स मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय गुरमीत कौर व अन्य बनाम फाइनेंशियल अधिकारी के मामले में पहले ही अपना निर्णय दे चुका है, यह राजकीय निर्देश उसी निर्णय का प्रभाव हो सकता है।

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