समस्या-
हमारी कृषि भूमि जो कि 5 एकड़ 4 कनाल है, मेरे पिता के 3 भाई हैं और 3 बहनें हैं। मेरे दादा जी का देहान्त अप्रेल 1988 में हो गया था, उस के बाद उस भूमि में मेरी 3 बुआओं के नाम भी इन्तकाल खुल गया था। मेरे दादा जी एक वसीयत कर गये थे जिस में भूमि मेरे पिताजी और उन के 3 भाइयों के नाम की गयी थी। भूमि दादा जी की खुद खरीदी हुई है। मेरे पिता जी ने 2008 में मुक़दमा डाला था उस पर 1/4 का भूमि पर स्टे मिल गया था। लेकिन अब मेरे फादर 22.8.2012 को मुक़दमा हार गए हैं। अब वे अपील करेंगे। मेरी 3 बुआओं ने अपने हिस्से की मेरे 3 चाचाओं के नाम रिलीज डीड 2008 में कर दी हैं। मेरे पिता जी को उस में छोड़ दिया है। वसीयत मेरे दादा ने मार्च 1987 मे की थी। अब इस केस का क्या होगा? कृपया सलाह दें
-विजय कुमार, सिवन, जिला कैथल, हरियाणा
समाधान-
लेकिन जैसा आप कहते हैं दादा जी ने वसीयत में बुआओं को वंचित कर के सारी कृषि भूमि आप के पिता और 3 चाचाओं को वसीयत कर दी थी तो आप के पिता और आप के चाचा में से प्रत्येक ¼ हिस्से के अधिकारी हैं। न्यायालय ने कृषि भूमि का बँटवारा उत्तराधिकार के अनुसार किया है। इस से ऐसा लगता है कि न्यायालय ने वसीयत को गलत माना है। आप के पिता वसीयत का किया जाना साक्ष्य से प्रमाणित नहीं कर सके। वे क्यों प्रमाणित नहीं कर सके? यह केवल वसीयत, फैसला और मुकदमे की पूरी पत्रावली का अध्ययन कर के ही जाना जा सकता है। इस सम्बन्ध में आप के पिता जी को मुकदमे की पत्रावली और निर्णय का अध्ययन किसी वरिष्ठ दीवानी वकील से करवाना चाहिए और आगे अपील करना चाहिए।