तीसरा खंबा

वसीयत में वसीयतकर्ता की संपूर्ण सम्पत्ति का विवरण होना आवश्यक नहीं

समस्या-

दि कोई व्यक्ति अपनी अर्जित सम्पत्ति के सन्दर्भ में वसीयत करना चाहे तो क्या उसे अपनी सारी सम्पत्ति का पूरा विवरण देकर इसका कितना भाग किसको मिले बताना होगा। या फ़िर एक सामान्य सी वसीयत की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर ….
१) मेरा मकान मेरी ज्येष्ठ पुत्री को प्राप्त हो ।
२) मेरी अर्जित जमा पूंजी (बैंक/डाकखाना/गहने इत्यादि) पुत्रों एवं पुत्रियों में समान रूप से बांट दिये जायें।

– नीरज रोहिल्ला

समाधान-

सीयत करने के लिए यह बिलकुल आवश्यक नहीं है कि वसीयत करने वाला व्यक्ति अपनी सारी सम्पत्ति की वसीयत करे। वह अपनी संपू्र्ण संपत्ति के किसी भाग की वसीयत कर सकता है। जब भी कोई व्यक्ति अपनी संपत्तियों में से किसी एक को या संपत्ति के किसी भाग को वसीयत करता है तो यह भी आवश्यक नहीं है कि वह अपनी सभी संपत्तियों का वर्णन अपनी वसीयत में करे ही। वह चाहे तो सारी संपत्तियों का वर्णन कर सकता है और चाहे तो यह भी अंकित कर सकता है कि मेरी एक संपत्ति जो किसी स्थान विशेष पर स्थित है उसे मैं वयक्ति विशेष को वसीयत करता हूँ।

सीयत में जरूरी यह है कि जिस संपत्ति को वसीयत किया जा रहा है उस का वर्णन स्पष्ट होना चाहिए जिस से यह निश्चित किया जा सके कि वसीयत की गई संपत्ति कौन सी है। संपत्ति की पहचान स्पष्ट होना चाहिए। इस के साथ यह भी आवश्यक है कि वसीयत जिस वयक्ति के पक्ष में की जा रही है उस व्यक्ति की पहचान भी स्पष्ट रूप से हो सके।

किसी भी वसीयत में सब से अधिक आवश्यक यह है कि उसे दो ऐसे साक्षियों के समक्ष किया जाए जो कि न्यायालय में साक्ष्य देने में सक्षम हों। वसीयतकर्ता एवं साक्षी वसीयत के समय स्वस्थ चित्त हों, बिना किसी दबाव के हों, वयस्क हों। वसीयत के बारे में अधिक जानकारी यहाँ, यहाँ और यहाँ प्राप्त की जा सकती है।

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