तीसरा खंबा

वसीयत सादे कागज पर हो सकती है उस का पंजीकृत होना आवश्यक नहीं।

Willसमस्या-
राजीव ने देहरादून, उत्तराखण्ड से पूछा है-

 मेरे दादा जी का देहांत 2 वर्ष पूर्व हो चुका है। उन की एक वसीयत है लेकिन यह वसीयत सादे कागज पर है जिस में दो गवाहों के हस्ताक्षर हैं और रजिस्टर नहीं की गयी है। क्या यह वसीयत मान्य होगी?

समाधान-

सीयत पर कोई स्टाम्प शुल्क देय नहीं है, अर्थात वह सादे कागज पर की जा सकती है। उस का पंजीकृत होना भी आवश्यक नहीं है, अर्थात अपंजीकृत वसीयत भी मान्य होगी। वसीयत के दो गवाह होना आवश्यक है, आप के दादा जी की वसीयत पर दो गवाहों के हस्ताक्षर भी हैं। इस तरह प्रारंभिक रूप से आप के दादा जी की सादे कागज पर लिखी गई वसीयत मान्य होगी।

लेकिन वसीयत के लिए यह आवश्यक है कि आप के दादा जी ने वसीयत पर अपने हस्ताक्षर इन्हीं दो गवाहों की उपस्थिति में किए हों। आप के दादा जी की वसीयत पंजीकृत नहीं है इस कारण इसे इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि उस पर आप के दादाजी के हस्ताक्षर नहीं हैं, जाली बनाए गए हैं। अथवा यह भी कहा जा सकता है कि वसीयत फर्जी बनाई गई है या आप के दादा जी ने वसीयत पर दो गवाहों के सामने हस्ताक्षर नहीं किए थे।

न सब आपत्तियों के निराकरण के लिए आप को वसीयत को प्रोबेट करवा लेना चाहिए। एक बार प्रोबेट हो जाने पर वसीयत पूरी तरह से मान्य हो जाएगी।

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