तीसरा खंबा

वसीयत से उत्तराधिकारी वंचित होते हैं।

Willसमस्या-

राम भजन सिंह ने ग्राम और पोस्ट जरहा, थाना बीजपुर, जिला सोनभद्र, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरे बड़े पिता जी के दो पत्नियाँ थीं और दोनों के एक एक लड़की हुई। पिता जी की मृत्यु  के बाद पहली वाली पत्नी के अकेले अपनी लड़की को वसीयत लिख दी क्या सेकेंड वाली पत्नी के लड़की को हिस्सा नहीं मिलना चाहिए।

समाधान-

प की बात ही समझ नहीं आ रही है। वसीयत किस ने लिखी है बड़े पिता जी ने या पहले वाली पत्नी ने? हम आम तौर पर ऐसे प्रश्नों का उत्तर नहीं देते जो अपने आप में स्पष्ट नहीं होते। पर आप के प्रश्न का उत्तर इस कारण से दे रहे हैं कि लोगों को उत्तराधिकार के अधिकार में और वसीयत में भेद के बारे में बताया जा सके।

वसीयत हमेशा व्यक्ति अपने जीवनकाल में करता है कि उस की मृत्यु के उपरान्त उस की संपत्ति का क्या किया जाए। यदि कोई व्यक्ति वसीयत नहीं करता है तो उत्तराधिकार के नियम के हिसाब से उस के उत्तराधिकारियों को संपत्ति प्राप्त होती है। व्यक्ति सहदायिक (पुश्तैनी) संपत्ति में अपने अधिकार को भी वसीयत कर सकता है।

हिन्दू विधि में 1955 से दूसरा विवाह करना वैधानिक नहीं रहा है। इस कारण आप के बड़े पिता का दूसरा विवाह यदि  1955 के बाद हुआ था और पहले वाली पत्नी जीवित थी तो वह अवैध था। हालांकि इस का असर दूसरी पत्नी की संतान पर बस इतना ही होगा कि पुश्तैनी संपत्ति में उस का अधिकार नहीं होगा।

यदि किसी ने अपनी स्वअर्जित संपत्ति की वसीयत अपनी संतानों में से किसी एक के नाम कर दी है तो अन्य संतानें स्वतः ही वंचित हो जाएंगी। आप के मामले में यदि आप के बड़े पिता जी ने वसीयत से अपनी संपत्ति बड़ी पत्नी की पुत्री को दे दी है तो फिर अन्य उत्तराधिकारियों को कुछ नहीं मिलेगा और यह कानूनन है।

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