तीसरा खंबा

विक्रय पत्र निरस्त होने में कई वर्ष लग सकते हैं, तब तक दुबारा विक्रय सम्भव नहीं।

समस्या-

शैलेन्द्र कुमार ने भगवानपुर, सदर मुजफ्फरपुर, बिहार से पूछा है-

सम्पत्ति बेचने के विक्रय मूल्य की कुल राशि 40 लाख चैक और डीडी द्वारा प्राप्त हुई। इनमें से 5 लाख का एक चेक बाउंस हो चुका है। परंतु क्रेता पैसा देने को तैयार है लेकिन मेरा मन है कि रजिस्ट्री कैसिंल करा कर किसी दूसरे को बेच दूँ।  क्या यह कानूनी रूप से संभव है कि क्रेता द्वारा कोर्ट में (नजारत मे या किसी दूसरे रूप से) बचा रकम (बांउस चेक का) जमा कर रजिस्ट्री कैन्सिलेशन पर रोक लगवा दे?

समाधान-

इतनी बड़ी रकम का मामला है और लगता है आपने किसी स्थानीय वकील से सलाह नहीं की है। सम्पत्ति बेचान के लिए दिए गए चैक के बाउन्स हो जाने पर पहला उपाय है कि आप चैक देने वाले को चैक बाउन्स होने से तीस दिनों की अवधि में कानूनी नोटिस दे कर कहें कि वह तुरन्त और अधिक से अधिक 15 दिनों में चैक की राशि नकद दे दे। यदि इस कानूनी नोटिस के जवाब में वह उसे नोटिस मिलने से 15 दिन की अवधि में आपको चैक की धनराशि का भुगतान कर देता है तो मामला यहीँ समाप्त हो जाता है। यदि नहीं करता है तो आपके पास दो उपाय हैं।

एक उपाय तो यह है कि आप चैक बाउन्स होने पर धारा 138 निगोशिएबल इन्स्ट्रूमेण्ट एक्ट की धारा 138 के अन्तर्गत अपराधिक परिवाद मजिस्ट्रेट के न्यायालय में प्रस्तुत करें और उसके निर्णय तक इन्तजार करें।

आपके पास दूसरा उपाय यह है कि आप विक्रय पत्र के निरस्तीकरण के लिए दीवानी वाद संस्थित करें। वैसी स्थिति में आपको विक्रय मूल्य पर कोर्ट फीस देनी पड़ेगी और निर्णय तक इन्तजार करना पड़ेगा। तब तक आप अपनी सम्पत्ति को किसी दूसरे को विक्रय नहीं कर पाएंगे। आपके यहाँ की अदालतों विक्रय पत्र के निरस्तीकरण का दीवानी वाद कब तक निर्णीत होगा और क्रेता ने उसकी अपील कर दी तो उसके निर्णय में कितना समय लगेगा, इसका पता कर लें। धारा 138 निगोशिएबल इन्स्ट्र्मेण्ट एक्ट के अन्तर्गत परिवाद से संस्थित मामले में निर्णय कब तक हो सकेगा यह भी पता करें।

हमारी समझ है कि इन दोनों निर्णयों के होने में कई वर्ष लग सकते हैं। इस कारण बेहतर यही है कि आप क्रेता से चैक का धन ले लें और आगे बढ़ें। क्योंकि आप अब इस सम्पत्ति को इन मुकदमों के चलते तो किसी दूसरे को नहीं बेच सकेंगे। कम से कम तब तक जब तक कि विक्रय पत्र के निरस्तीकरण की डिक्री आप को न मिल जाए।

Exit mobile version