दुर्ग, छत्तीसगढ़ से नीलेश पूछते हैं –
आज से आठ वर्ष पूर्व हम ने अपने पहचान वाले को 50,000/- रुपया उधार दिया था और उस ने यह इकरार किया था कि वह पाँच वर्ष में यह रुपया लौटा देगा, यदि नहीं लौटा सका तो उस की जो जमीन 20 वर्ष पहले से हमारे कब्जे में है, वह हमारी हो जाएगी। जमीन के दस्तावेज भी उन्हों ने हमें सौंप दिए थे। इस जमीन पर हमने एक पक्का शेड बनवा रखा है और कुछ पेड़ पौधे भी लगा रखे हैं। अब वह इकरारनामे से इन्कार कर रहा है और हम से जमीन का कब्जा छोड़ने को कह रहा है। क्या हमें जमीन का कब्जा छोड़ना पड़ेगा?
उत्तर –
नीलेश जी,
आप के इस मामले में अनेक कानूनी पेच हैं। सब से पहले तो यह कि उस परिचित की कृषि भूमि विगत 20 वर्षों से किस आधार पर आप के कब्जे में हैं, इस का खुलासा आपने नहीं किया है। उस ने आप को जमीन के दस्तावेज सौंप दिये थे तो यह एक प्रकार का बंधक था। उधार लेने वाले व्यक्ति ने आप के साथ जो संविदा (इकरारनामा) किया था उस के अनुसार उधार का रूपया न चुकाने पर संविदा एक विक्रय संविदा के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। इस तरह आप के मामले में कोई भी विश्वसनीय और उचित हल तभी सुझाया जा सकता है जब न केवल आप के सभी दस्तावेजों का अवलोकन किया जाए अपितु आप से इस संबंध में जरूरी जानकारी भी हासिल हो।
आपका इकरारनामा उधार न चुका पाने के कारण वह एक विक्रय संविदा में परिवर्तित होता प्रतीत होता है। भूमि का कब्जा आप के पास है। लेकिन इकरारनामे से कोई भूमि आप की नहीं हो जाती। स्वामित्व हस्तांतरण के लिए भूमि के हस्तांतरण का विलेख जब तक आप के पक्ष में निष्पादित किया जा कर पंजीकृत नहीं हो जाता तब तक आप उस के स्वामी नहीं बन सकेंगे। इस लिए आप को चाहिए कि आप किसी वरिष्ठ वकील से सलाह ले कर अपने परिचित को एक कानूनी नोटिस दिलवाएँ कि इकरारनामे के अनुसार भूमि का विक्रय अंतिम हो चुका है वह आप के नाम विक्रय पत्र निष्पादित करवा कर उस का पंजीयन कराए। यदि नोटिस की अवधि समाप्त होने के उपरांत भी वह ऐसा नहीं करता है तो आप उस के विरुद्ध विक्रय पत्र के निष्पादन और पंजीयन करवाने के लिए उस के विरुद्ध संविदा के विशिष्ठ अनुपालन का वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इसी वाद में एक अस्थाई व्यादेश का आवेदन प्रस्तुत कर भूमि पर आप के कब्जे में दखल न देने के लिए अस्थाई व्यादेश प्राप्त कर सकते हैं।
यदि किसी भूमि का स्वामी उस भूमि के विक्रय का इकरार करे, विक्रय का पूरा मूल्य प्राप्त कर ले और भूमि का कब्जा दे दे तो फिर कानूनी रूप से वह व्यक्ति ही नहीं अपितु कोई भी व्यक्ति भूमि के खरीददार के कब्जे में दखल देने का कोई हक नहीं रखता। यदि ऐसे कब्जे को कोई चुनौती देता है तो कानून उस की चुनौती को निरस्त कर देगा। ये सभी तत्व आप के मामले में उपस्थित हैं और आप का
दावा मजबूत है। यदि यह भी माना जाए कि आप बीस वर्षों से उस भूमि पर लायसेंस (अनुज्ञप्ति) के आधार पर काबिज हैं तो भी उस पर किए गए स्थाई प्रकृति के निर्माणों के कारण (जो भूमि के स्वामी की अनुमति से हुए हैं व अनुमति का अनुमान इस से किया जा सकता है कि उस ने इस निर्माण के विरुद्ध कोई शिकायत या दावा नहीं किया) आप की अनुज्ञप्ति स्थाई प्रकृति की हो चुकी है, उसे निरस्त कर के आप के विरुद्ध कब्जे का दावा किया जाना संभव नहीं है।
दावा मजबूत है। यदि यह भी माना जाए कि आप बीस वर्षों से उस भूमि पर लायसेंस (अनुज्ञप्ति) के आधार पर काबिज हैं तो भी उस पर किए गए स्थाई प्रकृति के निर्माणों के कारण (जो भूमि के स्वामी की अनुमति से हुए हैं व अनुमति का अनुमान इस से किया जा सकता है कि उस ने इस निर्माण के विरुद्ध कोई शिकायत या दावा नहीं किया) आप की अनुज्ञप्ति स्थाई प्रकृति की हो चुकी है, उसे निरस्त कर के आप के विरुद्ध कब्जे का दावा किया जाना संभव नहीं है।