तीसरा खंबा

विधिक आधार उपलब्ध हो तो तलाक के लिए सहमति जरूरी नहीं।

rp_divorce.jpgसमस्या-

राज ने उज्जैन, म.प्र. से समस्या भेजी है कि-

मेरी पत्नी ने मुझ पर 498ए आईपीसी का झूठा मुकदमा कर दिया है और मैं ने धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम का आवेदन लगा रखा है। उस ने धारा 24 हिन्दू विवाह अधिनियम का आवेदन प्रस्तुत कर दिया। मेरी पत्नी राजकीय कर्मचारी है और मैं प्राइवेट नौकरी करता हूँ। मैं पत्नी से तलाक नहीं चाहता। यदि पत्नी चाहे तो क्या उसे विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त हो सकती है? क्या मेरी सहमति के बिना? क्यों कि मैं उसे नहीं छोड़ सकता ये मेरा निजी फैसला है, मैं उसे तलाक नहीं दूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए। इस क लिए मैं क्या करूँ।

समाधान-

प की पत्नी ने आप के विरुद्ध विवाह विच्छेद का कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है। फिर आप यह क्यों सोच रहे हैं कि वह तलाक लेना चाहती है? उस ने 498ए का झूठा मुकदमा बनाया है तो उसे के पीछे कोई तो कारण होगा? आप उस कारण को जानने की कोशिश कीजिए। उस से बात कीजिए कि वह वास्तव में क्या चाहती है? उसे आप से क्या परेशानी है या आप के साथ विवाहित जीवन बिताने में क्या समस्या है? क्यों कि कोई भी स्त्री इस तरह अकारण तो अपने पति के विरुद्ध कोई मुकदमा नहीं कर सकती। हो सकता है कोई न कोई कारण रहा हो लेकिन आप हमें नहीं बता रहे हों। आप को यह कारण नहीं पता है तो पता करना चाहिए और यदि पता है या जब लग जाए तब उस कारण का निवारण कीजिए।

प्राचीन हिन्दू विधि में तलाक का कोई प्रावधान ही नहीं था। 1955 में हिन्दू विवाह अधिनियम पारित होने के कुछ आधारों पर हिन्दू विवाह का विच्छेद करने का उपबन्ध आया। लेकिन सहमति से तलाक का उपबन्ध तब नहीं था। सहमति से तलाक का उपबन्ध 1976 में हिन्दू विवाह अधिनियम में धारा 13बी के रूप में जोड़ा गया। इस से स्पष्ट है कि यदि किसी स्त्री या पुरुष के पास तलाक के उचित आधार हो और वह न्यायालय के समक्ष साक्ष्य से उन्हें साबित कर दे तो वह तलाक की डिक्री प्राप्त कर सकती/ सकता है। उस के लिए उस के पति/ पत्नी की सहमति की कोई आवश्यकता नहीं है।

हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 में प्रावधान है कि किन किन कारणों से एक पति या पत्नी तलाक की अर्जी न्यायालय में प्रस्तुत कर सकता है। यदि आप की पत्नी के पास कोई वाजिब कारण और आधार हुआ तो वह आप के विरुद्ध तलाक की अर्जी प्रस्तुत कर सकती है। आप उस से तलाक नहीं चाहते हैं तो आप उस अर्जी का विरोध कर सकते हैं। लेकिन यदि आप की पत्नी कोई उचित आधार साक्ष्य के आधार पर सिद्ध कर पायी तो उसे तलाक की डिक्री प्राप्त हो सकती है। आप को भी न्यायालय अपनी बात कहने और उसे साबित करने और आप की पत्नी के आधार को गलत साबित करने का अवसर प्रदान करेगा।

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