तीसरा खंबा

विवाह विच्छेद की डिक्री सक्षम न्यायालय से प्राप्त किए बिना दूसरा विवाह वैध नहीं होगा

समस्या-

मेरी शादी फरवरी 2008 में हुई थी। लेकिन मेरे प्रति पति के यौन उदासीन रहने और विवाह के भुक्त होने के कारण पति के साथ नोटेरी के समक्ष प्रमाणित अनुबंध कर के मेरा तलाक हो गया है। अब मैं दूसरा विवाह करना चाहती हूँ। यदि मैं विवाह करती हूँ तो क्या यह विवाह वैध होगा?

-रीता सिंह, मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश

समाधान-

दि कोई व्यक्ति जिस पर हिन्दू विवाह अधिनियम प्रभावी है और वह आदिवासी नहीं है तो उस का विवाह बिना सक्षम न्यायालय की डिक्री के विच्छेद नहीं हो सकता। एक हिन्दू विवाह को विच्छेद करने के लिए न्यायालय की डिक्री प्राप्त करना आवश्यक है।

 

दि आप बिना सक्षम न्यायालय से विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त किए केवल नोटेरी द्वारा प्रमाणित किए गए अनुबंध को विवाह विच्छेद मान कर दुबारा विवाह करती हैं तो यह दूसरा विवाह कानूनन अवैध होगा। यह विवाह भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के अन्तर्गत अपराध भी होगा जिस के लिए आप को सात वर्ष तक के कारावास के दंड से दंडित किया जा सकता है।

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