दीपक कुमार सोनी ने सिवान, बिहार से समस्या भेजी है कि-
मेरे ससुराल वाले शादी के 3-4 महीने बाद से ही दबाव बनाने लगे कि हमारी लड़की को मैके में ही रहने दो और आप हर महीने खर्चा देते रहो। मैं नहीं मानता था। उस के बाद उस के घर वाले मेरे घर आते तो मेरी बीवी पैसा या जेवर कुछ हमेशा मैके भेजने लगी। मैं किसी को कुछ नहीं बता पा रहा था। कुछ समझ में नही आ रहा था कि क्या करूँ। 25.4.2015 को वो ज़बरदस्ती अपनी आदत अनुसार मेरी पत्नी को ले कर चले गये और 28.4.2015 को 498ए, 34, 323 आईपीसी का केस फाइल कर दिया जो 156 (3) दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत है। उसके बाद 125 दंड प्रक्रिया संहिता का केस कर दिया 125 का नोटिस आ गया है। 23.7.2015 को मेरी पेशी है मैं अपनी पत्नी को रखना चाहता हूँ पर वो अपने माँ बाप के बहकावे में आकर रहना नहीं चाहती। मैं क्या करूँ। 498ए, 34 के केस में अभी थाने में एफआईआर दर्ज नही हुई है। उन लोगो ने पैसा देकर दबा दिया है और मुझसे 50000 हज़ार माँग रहे हैं मैं क्या करूँ?
समाधान-
हमारे यहाँ शादियाँ जिस तरह से तय होती हैं, उन में न तो पति पत्नी एक दूसरे को ठीक से जानते हैं और न ही एक दूसरे के बारे में विश्वसनीय रुप से कुछ कह सकते हैं। यही कारण है कि आज कल होने वाली शादियों में अक्सर ऐसी शिकायतें आती हैं। हमारा शादी का परंपरागत रूप लगभग अवसान पर है और नया तरीका जिस में पति-पत्नी विवाह के पहले एक दूसरे को ठीक से समझ सकें समाज आगे बढ़ा नहीं रहा है। यह एक संक्रमण काल है। इस संक्रमण काल में ऐसी समस्याएँ खूब देखने को मिलेंगी। इन समस्याओं का इलाज भी अदालतों और कानून से नहीं निकल पाता है। कानून और अदालतें फैसला करने में इतनी देर करती हैं कि दोनों जीवन बरबाद हो जाते हैं।
आप ने यह नहीं बताया है कि आप के ससुराल वाले आप की पत्नी को मायके में क्यों रखना चाहते थे। बिना कोई कारण बताए तो उन्हों ने ऐसे ही कुछ नहीं कहा होगा। आप वह कारण बताते तो कुछ समझ आता। आखिर 323 और 498ए की शिकायत का कोई तो आधार रहा होगा।
इस तरह के मामलों में बेहतर है कि आपस में मिल बैठ कर रास्ता निकाला जाए। लेकिन उस के पहले यदि प्रथम सूचना दर्ज होती है तो आप अग्रिम जमानत करवा लें। अन्यथा आप को कुछ दिन जेल में गुजारने पड़ सकते हैं। धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता में भी आप को पत्नी का खर्चा तो देना होगा। पत्नी को आप उस की मर्जी से ही अपने साथ रख सकते हैं। उस की मर्जी के बगैर नहीं रख सकते। सब से बढ़िया हल यही है कि जो मुकदमे हुए हैं उन के लिए अच्छा वकील करें जो पूरी मेहनत से आप का मुकदमा लड़े और बातचीत का रास्ता कभी बन्द न करें।