समस्या-
सिरोही राजस्थान से मांगीलाल चौहान ने पूछा है-
तलाक का मामला कोर्ट में लंबित है। तो क्या मैं दूसरा विवाह कर सकता हूँ? यदि हाँ, तो कौन कौन सी शर्तें लागू होंगी।
समाधान-
हिन्दू विधि से शासित किसी भी व्यक्ति के लिए एक पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना उन की व्यक्तिगत विधि द्वारा अनमत नहीं होने के कारण ऐसा करना भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के अंतर्गत अपराध है। जिस के लिए सात वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है। धारा 494 भा.दं.सं. निम्न प्रकार है –
494. पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना—
जो कोई पति या पत्नी के जीवित होते हुए किसी ऐसी दशा में विवाह करेगा जिसमें ऐसा विवाह इस कारण शून्य है कि वह ऐसे पति या पत्नी के जीवनकाल में होता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डीय होगा ।
अपवाद-–
इस धारा का विस्तार किसी ऐसे व्यक्ति पर नहीं है, जिसका ऐसे पति या पत्नी के साथ विवाह सक्षम अधिकारिता के न्यायालय द्वारा शून्य घोषित कर दिया गया हो,
और न किसी ऐसे व्यक्ति पर है, जो पूर्व पति या पत्नी के जीवनकाल में विवाह कर लेता है, यदि ऐसा पति या पत्नी उस पश्चातवर्ती विवाह के समय ऐसे व्यक्ति से सात वर्ष तक निरन्तर अनुपस्थित रहा हो, और उस काल के भीतर ऐसे व्यक्ति ने यह नहीं सुना हो कि वह जीवित है, परन्तु यह तब जब कि ऐसा पश्चातवर्ती विवाह करने वाला व्यक्ति उस विवाह के होने से पूर्व उस व्यक्ति को, जिसके साथ ऐसा विवाह होता है, तथ्यों की वास्तविक स्थिति की जानकारी, जहां तक कि उनका ज्ञान उसको हो, दे दे ।