कल शाम की पोस्ट नोटेरी द्वारा प्रमाणित दस्तावेज की साक्ष्य में क्या महत्ता है? पर अजय कुमार झा की टिप्पणी थी….
सर लगे हाथों …अगली कडी में ही सही …ये भी बता दीजिये ..कि नोटरी और ओथ कमिश्नर .द्वारा सत्यापित ..कागजातो का वैधानिक महत्व ..अलग है ..यदि हां तो कैसे…..ये प्रश्न भी अक्सर पूछते हैं लोग …
(क) किसी भी उपकरण (दस्तावेज) को सत्यापित करना, प्रमाणित करना या उस के निष्पादन को सत्यापित करना।
(ख) किसी भी वचनपत्र, हुंडी या स्वीकृति या भुगतान या मांग बेहतर सुरक्षा के लिए विनिमय बिल को प्रस्तुत करना।
(ग) किसी वचनपत्र, हुंडी या अंतरण बिल के गैर भुगतान द्वारा किए गए अनादरण, या भुगतान न किए जाने को अंकित करना और बेहतर सुरक्षा के लिए उन का विरोध अंकित करना या परक्राम्य अधिनियम के अंतर्गत उन का आदरण अंकित करना या उन के विरोध या अंकन की सूचना देना।
(घ) किसी जहाज, नाव या घाट या वाणिज्यिक मामलों से संबंधित विरोध को अंकित करना या लिखना।
(ङ) शपथ-पत्र के लिए शपथ दिलाना और शपथ पत्र को सत्यापित करना।
(च) बांडों और चार्टर दलों के अन्य व्यापारिक दस्तावेज तैयार करना।
(छ) भारत से बाहर किसी भी देश या स्थान के लिए वहाँ की विधि के अनुसार रूप और भाषा में ऐसे उपकरण (दस्तावेज) तैयार और प्रमाणित करना जिन का वहाँ काम में लिया जाना अभिप्रेत है।
(ज) एक भाषा से दूसरी में अनुवाद करना और अनुवादित दस्तावेज को सत्यापित करना। एक और किसी भी एक भाषा से दस्तावेज सत्यापित करें.
(झ) कोई भी किसी अन्य कार्य जो निर्धारित किया जाए।
इस तरह नोटेरी के उक्त कार्य हैं। लेकिन आम लोगों का काम नोटेरी से तभी पड़ता है जब उन्हें कोई दस्तावेज जैसे अनुबंध, वसीयत, घोषणा पत्र, बांड आदि का निष्पादन सत्यापित कराना हो या प्रतिलिपि सत्यापित करानी हो या किसी शपथ पत्र का सत्यापन करवाना हो। इसी संदर्भ में नोटेरी को अधिक जाना जाता है।