तीसरा खंबा

संपत्ति का नामांतरण स्वामित्व हस्तान्तरण नहीं है

 मेरठ, उत्तर प्रदेश से सचिन वर्मा ने पूछा है –

मेरे परिवार में मेरी माताजी, मेरी तीन विवाहित बहनें, मेरी पत्नी और दो नाबालिग बच्चे हैं। मैं अपनी तीनों बहनों से छोटा हूँ।  मेरे पिता की मृत्यु 2002 में हुई थी। उन्होंने कोई वसीयत नहीं की थी।  उनकी  मृत्यु के पश्चात मेरी माताजी अवसादग्रसित हो गयी थीं।  मैंने काफी समय तक उनका इलाज करवाया। करीब साल भर के  बाद पता चला कि मेरी माँ को मेरी सबसे छोटी बहिन ने यह कहा है कि अब तुम्हें बेटा रोटी भी नहीं देगा। वो इस बात पर चिंतित थी।  मैंने ये पता चलने पर पापा के सारे बैंक अकाउंट उनके नाम कर दिए और अपने कस्बे की नगर पालिका के लिए मैंने और मेरी सभी बहनों के हस्ताक्षर से एक एफ़ीडेविट बनवाया जिसमे ये घोषणा थी की नगर पालिका में मकान हमारी माताजी के नाम ट्रान्सफर करने में हमें कोई आपत्ति नहीं है तब से नगर पालिका के हॉउस टैक्स की रसीद में माताजी का नाम आता है। उसके बाद वो ठीक हो गयी। परन्तु मेरी छोटी बहिन, बहनोई अभी भी उन्हें मेरे विरुद्ध सिखा रहे हैं। कुछ समय उन्होंने अपना बड़ा बेटा हमारे साथ रहने के लिए भेजा। परन्तु वो अपने व्यवहार के कारण कुछ साल बाद वापस चला गया। अब समस्या यह है कि मेरी छोटी बहिन के कहने के कारण मेरी माँ महीने में दो-चार बार यह कह देती है कि उनका मकान है, वो जिसे चाहे देंगी। क्या ऐसा संभव है?  मकान का बैनामा पिताजी के नाम पर है, लेकिन नगर पालिका की रसीद माताजी के नाम पर आ रही है?  इसके अलावा मेरी माँ ने पिताजी का सारा रुपया मेरी बहिन को उधार दे दिया और अभी भी मकान के एक हिस्से का किराया वो लेतीं हैं जिसे अपनी मनचाहे तरीके से  खर्च करती हैं। उधर मेरी बहिन, बहनोई  ने भी बैंक / फाइनांसर  आदि से खूब उधार ले रखा है। बाकी दोनों बहिन बहनोई तटस्थ हैं. (क्योंकि वो मेरे पिताजी के पहले विवाह की संतान हैं।  इसलिए सामाजिक मान-सम्मान की वजह से वे दखल नहीं देते।)
क्या कानूनन मेरे और मेरे बच्चों के हक की रक्षा हो सकती है? क्या मेरी माताजी मकान किसी के भी नाम कर सकती हैं? क्या वे हमें घर से भी निकाल सकती हैं?
  उत्तर – 
सचिन जी,
मुख्यतः आप की समस्या मकान से संबन्धित है जिसे आप के पिता जी ने बैनामे के माध्यम से खरीदा था। इस तरह यह मकान आप के पिताजी की स्वअर्जित संपत्ति था। आप के पिता जी ने मकान के संबन्ध में कोई वसीयत नहीं की। इस कारण से उन के देहान्त के साथ ही उन के प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों को मकान  पर स्वामित्व प्राप्त हो गया। आप के पिता के उत्तराधिकारियों में आप की तीनों बहिनें, आप की माताजी और आप कुल पाँच व्यक्ति हैं। पिता जी की मृत्यु के उपरान्त आप पाँचों का उक्त मकान पर संयुक्त स्वामित्व है और सभी को समान रूप से भागीदारी प्राप्त है, अर्थात सभी का पाँचवाँ हिस्सा उस मकान में है। जब तक मकान के स्वामित्व का विभाजन नहीं हो जाता है तब तक उस पर संयुक्त स्वामित्व बना रहेगा। 
गर पालिका में मकान का नामान्तरण आप की माता जी के नाम दर्ज  हो जाने से आप सभी भागीदारों के मकान में हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मकान के स्वामित्व में कोई भी हिस्सेदार अपना हिस्सा केवल उप पंजीयक के यहाँ पंजीकृत विलेख से ही हस्तान्तरित कर सकता है। उत्तराधिकार म