तीसरा खंबा

संविदा का विशिष्ठ पालन अवधि बाधित होने पर सम्भव नहीं रहा।

समस्या-

भूपेंद्र त्रिपाठी ने बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से पूछा है-

मेरे पिता जी 3 भाई है।  वो वर्षों से  आपस में बंटवारा कर आबादी की जमीन में घर बना निवासित हैं।  किसी कारण वश बड़े पिता जी को पैसों की जरूरत आन पड़ी तो उन्होंने मेरे पिता जी से 1.5 लाख लेकर अपने बने बनाये घर को मेरे पिता जी को स्टाम्प में अग्रीमेंट बना दे दिया। घर का कब्जा बाद में छोड़ने का आस्वासन दिया।  लेकिन कुछ सालों बाद उनका स्वर्गवास हो गया। आज 10 साल से ज्यादा हो गए उनके बच्चे कब्जा खाली नहीं कर रहे। अब वे उस घर को किसी दूसरे व्यक्ति को बेच रहे हैं। क्या बड़े पिता जी की मृत्यु होने बाद अग्रीमेंट खत्म हो जाता है? क्या उस घर को बिकने से बचाने के लिए हम कुछ नहीं कर सकते?  क्या हमारा अग्रीमेंट होने से मालिकाना हक/कब्जा नहीं रहा? आपसे अनुरोध है कि उचित सलाह औऱ सुझाव दे।

समाधान-

आप के पिता और उनके भाइयों में बंटवारा हो चुका था और सभी अलग अलग घर बना कर निवास कर रहे थे। इसलिए यह समझें कि यह मामला दो व्यक्तियों के बीच संपत्ति के लेन-देन का है। आप के बड़े पिताजी को रुपया चाहिए था। उन्होंने स्टाम्प मे एग्रीमेंट बना कर दे दिया। उस एग्रीमेंट में क्या लिखा है यह आपने यहाँ नहीं बताया है। हालाँकि जिस तरह आपने आगे वर्णन किया है उससे लगता है यह घर को बेचने का एग्रीमेंट था।  हो सकता है यह एग्रीमेंट केवल रुपया उधार लेने के लिए किया गया हो और रुपया चुका देने के बाद वापस देने का वायदा हो। पर हम मान लेते हैं कि यह विक्रय का ही एग्रीमेंट था।

इस एग्रीमेंट के मुताबिक मकान का कब्जा आपके पिता को नहीं दिया गया था।  मकान एक अचल संपत्ति है और उसका मूल्य 100 रुपए से अधिक की है। इसका विक्रय एग्रीमेंट से नहीं किया जा सकता। विक्रय तभी पूर्ण होता है जब कि विक्रय विलेख का पंजीकरण हो जाए। हाँ, विक्रय करने के लिए एग्रीमेंट किया जा सकता है और उस एग्रीमेंट के मुताबिक धनराशि अदा कर देने पर उसका अदालत के माध्यम से विशिष्ठ पालन कराया जा सकता है। लेकिन अदालत से एग्रीमेंट का विशिष्ठ पालन कराने के ले वाद प्स्सतु करने की एक अवधि होती है। सामान्य रूप से एक एग्रीमेंट के विशिष्ठ पालन के ले वाद 3 वर्ष में प्रस्तुत किया जा सकता है। यदि एग्रीमेंट में लिखा हो कि विक्रय पत्र का पंजीयन किसी निश्चित अवधि में किया जाएगा तो वह अवधि समाप्त हो जाने के तीन वर्ष की अवधि में यह वाद संस्थित करना होता है।

आपके मामले में यह देखा जाना भी आवश्यक है कि क्या जिस समय यह एग्रीमेंट हुआ था तब उस मकान की बाजार कीमत डेढ़ लाख रुपये ही थी। यदि कीमत दुगनी या अधिक हुई तो भी वह एग्रीमेंट उचित नहीं कहा जाएगा।

आपके मामले में एग्रीमेंट को हुए दस वर्ष से अधिक हो चुके हैं। अब कानून के अनुसार न तो आप के पिता को उनका दिया हुआ पैसा वसूल किए जाने का अधिकार है और न ही संविदा के विशिष्ठ पालन कराने का अधिकार है। इस कारण आपके बड़े पिता के उत्तराधिकारियों को वह मकान अन्य किसी को विक्रय करने का पूरा अधिकार है। हम आपकी इस समस्या का समाधान एग्रीमेंट का अध्ययन किए बिना उसका आपके द्वारा दिए गए विवरण के आधार पर दे रहे हैं। इस कारण आप किसी अच्छे दीवानी वकील को वह एग्रमेंट दिखा कर हमारे समाधान की पुष्टि अवश्य कर लें।    

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