देश में कानून और व्यवस्था बनाए रखना, देश के कानून के अनुरूप अपराध करने वालों को सजा देना और गैरफौजदारी कानूनों की पालना को सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है। जो राज्य इन कर्तव्यों की पूर्ति नहीं कर सकता वह अराजकता के अंधकार में चला जाता है। क्या हम अपने गणराज्य भारत को इस कसौटी पर रख कर देख सकते हैं?
दीवानी मामलात का तो कहना ही क्या? उनके लिए अदालतों के पास समय ही नहीं है। एक बार कोई मुकदमा दायर कर दें उस के बाद यदि न्यायार्थी के जीवन में निर्णय हो जाए तो वह उस के लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है। दीवानी मामलों की स्थिति यह हो गई है कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश कहने लगे हैं कि अब केवल फौजदारी मुकदमे होंगे। क्यों कि दीवानी मामलात न्याय में देरी के कारण गुंडे निपटाने लगे हैं। राज्य की न्याय करने की शक्ति उस ने स्वयं ही अपराधि