केन्द्र सरकार की ओर से आज राष्ट्रीय मुकदमा नीति जारी करते हुए कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि इस नीति में प्रस्तावित निगरानी और समीक्षा का तंत्र है जो भोपाल गैस कांड की तरह के महत्वपूर्ण मामलों में देरी या अनदेखी को रोकेगा। यह पॉलिसी तय करेगी कि सरकार अदालतों में बढ़ते अपने मामलों को कैसे कम करे और कैसे सरकार ज्यादा जिम्मेदार वादी के तौर पर काम करे। सरकार ने इस नीति में स्वीकार किया है कि सरकार व उसकी एजेंसियां देशभर में अदालतों और न्यायाधिकरणों में प्रमुख पक्षकार हैं। अदालतों में लंबित दो करोड़ से ज्यादा मामलों में 70% में सरकार या तो याचिकाकर्ता है या प्रतिवादी है। मोइली ने कहा कि इस नीति का मकसद सरकार को सशक्त और जिम्मेदार पक्षकार में बदलना है।
इस नीति को अगले महीने की शुरुआत से लागू किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि सरकार को अपनी उस नीति को त्यागना है जिस का रवैया यह है कि, अदालत को फैसला करने दें। नीति के कार्यान्वयन की निगरानी और तय सिद्धांतों का पालन कराने, सरकारी विभागों की जवाबदेही तय करने के लिए सरकार अधिकार संपन्न समिति गठित करेगी। इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय स्तर पर अटॉर्नी जनरल करेंगे। विधि मंत्री ने कहा कि मामले के शुरुआती चरण को छोड़कर सरकारी वकील स्थगन की मांग करने से बचेंगे। मुकदमे के शुरुआती हिस्से में याचिकाओं पर सरकारी विभागों के जवाब की जरूरत होती है। साथ ही सरकार अदालतों से कोई सूचना नहीं छिपाएगी और अदालत या न्यायाधिकरणों को गुमराह करने का प्रयास नहीं करेगी।
इस नीति को अगले महीने की शुरुआत से लागू किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि सरकार को अपनी उस नीति को त्यागना है जिस का रवैया यह है कि, अदालत को फैसला करने दें। नीति के कार्यान्वयन की निगरानी और तय सिद्धांतों का पालन कराने, सरकारी विभागों की जवाबदेही तय करने के लिए सरकार अधिकार संपन्न समिति गठित करेगी। इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय स्तर पर अटॉर्नी जनरल करेंगे। विधि मंत्री ने कहा कि मामले के शुरुआती चरण को छोड़कर सरकारी वकील स्थगन की मांग करने से बचेंगे। मुकदमे के शुरुआती हिस्से में याचिकाओं पर सरकारी विभागों के जवाब की जरूरत होती है। साथ ही सरकार अदालतों से कोई सूचना नहीं छिपाएगी और अदालत या न्यायाधिकरणों को गुमराह करने का प्रयास नहीं करेगी।
कुछ भी हो सरकार द्वारा घोषित इस नीति का स्वागत किया जाना चाहिए। यदि इस नीति को लागू करने में सरकार कोताही करती है तो यह जल्दी ही सामने आ जाएगा कि यह नीति सिर्फ प्रचार बनाई गई है या फिर सरकार इसे वास्तव में गंभीरता से लागू करना चाहती है।