संविधान के अनुच्छेद 143 से सर्वोच्च न्यायालय को परामर्श देने की अधिकारिता प्रदान की गई है। इस उपबंध के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति उन के समक्ष कुछ विशिष्ठ परिस्थितियाँ उत्पन्न होने पर सर्वोच्च न्यायालय को परामर्श देने के लिए निर्देश दे सकते हैं।
अनुच्छेद 143 (2) में यह उपबंध किया गया है कि राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय को ऐसा कोई भी मामला परामर्श के लिए संप्रेषित कर सकते हैं जो कि अनुच्छेद 131 के अधीन सर्वोच्च न्यायालय की अधिकारिता में नहीं आता। ऐसे मामले में सर्वोच्च न्यायालय ऐसी सुनवाई के उपरांत जिसे वह आवश्यक समझता है, अपना परामर्श राष्ट्रपति प्रदान करेगा। इस उपबंध के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय परामर्श देने के लिए आबद्ध है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की ऐसी राय किसी भी न्यायालय पर आबद्धकारी नहीं होगी। इस मामले में दिल्ली लॉज एक्ट और केरल एजुकेशन बिल के मामले उदाहरण हैं, जिन में सर्वोच्च न्यायालय दिए गए परामर्श को न्यायालयों द्वारा आबद्धकर नहीं माना गया था।