तीसरा खंबा

सहदायिकों को सम्पत्ति हस्तान्तरण के लिए पंजीकृत निर्मुक्ति विलेख आवश्यक

समस्या-

मनोज कुमार जायसवाल ने न्‍यू इंदिरा कॉलोनी, बुरहानपुर (म.प्र.) से पूछा है –

पुरखों से चला आ रहा एक आवासीय कच्‍चा मकान शासकीय अभिलेख में  पिताजी के नाम से अंकित है तथा वे उसके मालिक एवं काबिज चले आ रहे हैं।  परिवार के सदस्‍यों में  पिता स्‍वंय, पत्नि व एक पुत्री (विवाहित), दो पुत्र (विवाहित) कुल सदस्‍य 5 हैं।  पिता अपने जीवित रहते अपनी सम्‍पत्ति परिवार के सभी सदस्‍यों की आम सहमति से दोनों पुत्रों को समान हिस्‍से में रजिस्टर्ड हकत्‍याग/निमुर्क्ति विलेख द्वारा हस्तान्तरित करना चाहते हैं, जिससे दोनो पुत्र बैंक से लोन लेकर भवन का निर्माण कर सकें। बैं क वाले रजिस्‍टर्ड विलेख मांग कर रहे है हमें क्‍या करना चाहिये?

समाधान-

आप का मकान और जिस पर वह स्थित है वह भूखण्ड पुरखों से चला आ रहा है।  इससे प्रतीत होता है कि यह हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम प्रभावी होने की तिथि दिनांक 17 जून 1956 के पूर्व भी जिस किसी के नाम था उसे अपने पूर्वज से उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ था। यदि ऐसा है तो यह संपत्ति पुश्तैनी तथा सहदायिक है।

हमारी परंपरागत हिन्दू मिताक्षर विधि में सहदायिक संपत्ति में पुत्रों को जन्म से ही अधिकार होता है। इस कारण इस संपत्ति में आप दोनों भाइयों को जन्म से ही अधिकार प्राप्त है। 2005 में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में हुए संशोधन से पुत्रियों को भी जन्म से ही सहदायिक संपत्ति में अधिकार प्राप्त हो गया है। इस तरह आप की दोनों बहनों को भी उस सम्पत्ति में अधिकार प्राप्त हो गया है।

किसी भी सम्पति को केवल रजिस्टर्ड विलेख द्वारा ही हस्तान्तरित किया जा सकता है। निर्मुक्ति विलेख भी अपने हिस्से की सम्पत्ति का किसी सहदायी को हस्तान्तरित करना है इस कारण से उसका पंजीकृत किया जाना आवश्यक है। यदि समूची संपत्ति आप दोनों भाइयों के नाम की जानी है तो यह आवश्यक है कि आप के पिता के साथ साथ आप की दोनों बहिनें भी उनके हिस्से की संपत्ति का आधा-आधा भाग आप दोनों भाइयों के हक में निर्मुक्ति विलेख निष्पादित करें। किसी पुश्तैनी सहदायिक संपत्ति को किसी सहदायी को हस्तान्तरित करने के निर्मुक्ति विलेख में बहुत नाम मात्र की स्टाम्प ड्यूटी तथा पंजीकरण शुल्क खर्च होती है। इस कारण आप आप के पिताजी और दोनों बहनों से निर्मुक्ति विलेख निषादित करवा कर उसे पंजीकृत करा लें उसके अभाव में कोई भी वित्तीय संस्था आप को ऋण प्रदान नहीं करेगी।




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