तीसरा खंबा

सहदायिक और वसीयत से प्राप्त संपत्ति का बंटवारा

समस्या-

अशोक कुमार व्यास ने शाजापुर मध्यप्रदेश से पूछा है-

शाजापुर में हमारा पुश्तैनी मकान है, जो लगभग 100 वर्ष से अधिक पुराना है। मेरे दादाजी के दादाजी (सोमनाथ जी व्यास) का ख़रीदा हुआ। उनकी वंश-परम्परा इस तरह रही : सोमनाथ जी – भागीरथजी – रामवल्लभजी – मोहिनीकांत जी, रम्भाबाई, रामप्यारीबाई।


रामवल्लभजी के पुत्र मोहिनीकान्त जी दत्तक पुत्र हैं और अभी जीवित हैं। उनकी पत्नी भी जीवित हैं। पुत्रियाँ (रम्भाबाई व रामप्यारी बाई) अब इस दुनिया में नहीं है। रम्भा बाई का कोई वारिस नहीं है। रामप्यारी बाई के एक पुत्र व एक पुत्री जीवित हैं। मोहिनीकान्त जी के दो पुत्र व दो पुत्रियाँ (सभी विवाहित) हैं।


मोहिनीकांतजी व उनकी पत्नी चाहते हैं कि उनके जीतेजी सम्पत्ति का निपटान (बँटवारा) हो जाए।
रामवल्लभ जी ने वसीयत द्वारा अपने दत्तक पुत्र मोहिनिकान्त जी के पक्ष में सम्पत्ति का स्वामित्व लिख दिया था। वसीयत वर्ष 1956 से पहले की है।


सम्पत्ति का निपटान, विधिक तरीक़े से, किन किन के पक्ष में होगा व कैसे होगा ?

समाधान-

रामवल्लभ के पास जो संपत्ति थी वह पुश्तैनी और सहदायिक थी। उन्हों ने मोहिनीकांत को गोद लिया। यदि इस बात के सबूत हैं और कोई विवाद नहीं है कि मोहिनीकांत को उन्होंने गोद लिया था। तो जैसे ही उन्हें गोद लिया गया वैसे ही मोहिनीकांत उस संपत्ति में सहदायिक हो गए।

सहदायिक संपत्ति में पुत्रियों को किसी तरह का कोई अधिकार नहीं था। इस कारण रामवल्लभ जी की दो पुत्रियों को संपत्ति में किसी तरह का कोई अधिकार प्राप्त नहीं हुआ तो उन के वारिसों को भी कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। इस तरह जो संपत्ति थी मोहिनीकांत उस के आधे के स्वामी तो गोद लेते ही हो गए थे। शेष आधी संपत्ति उन्हें वसीयत से प्राप्त हुई। इस तरह मोहिनीकांत के पास अब जो संपत्ति है उस में से आधी उन की स्वअर्जित जैसी है जिसे उन्हें वसीयत करने का अधिकार है तथा शेष संपत्ति सहदायिक है।


इस आधी सहदायिक संपत्ति में मोहनीकांत के पुत्रों और पुत्रियों का समान हिस्सा है क्यों कि 2005 से पुत्रियों को भी सहदायिक संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त हो गया है। इस तरह आधी संपत्ति के पाँच हिस्सेदार हैं। मोहिनीकांत का हिस्सा केवल 1/5 है। मोहनीकांत अपनी आधी संपत्ति जो उन्हें वसीयत से मिली और शेष सहदायिक संपत्ति के 1/5 अर्थात संपूर्ण के 1/10 हिस्से का निपटान अपनी इच्छा से कर सकते हैं। इस तरह वे कुल संपत्ति के 6/10 हिस्से का निपटान अपनी इच्छा से वसीयत के माध्यम से कर सकते हैं। लेकिन शेष संपत्ति में उन के पुत्र पुत्रियों को पहले से ही अधिकार प्राप्त है। प्रत्येक पुत्र या पुत्री 1/10 के हिस्सेदार हैं।


ऐसी स्थिति में सब से बेहतर उपाय यह है कि मोहिनीकांत सब की सहमति से अपने जीतेजी बंटवारा कर दें और सब को उन के हिस्से की संपत्ति अलग अलग कब्जे में दे दें।

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