तीसरा खंबा

सहदायिक सम्पत्ति पर बिना विवाह दूसरी स्त्री और उससे उत्पन्न सन्तानों का कोई अधिकार नहीं।

समस्या-

सौम्य राज शर्मा ने  सदर बाजार, बेदला, उदयपुर, राजस्थान से पूछा है-

पुश्तैनी संपत्ति है, दादा ने दूसरी महिला से नाजायज संबंध होने के कारण उसे घर में ले आए। दादी इस कारण मेरे पिताजी को लेकर घर से निकल गई। उस दूसरी औरत से नाजायज ओलादें पैदा हुई और अब मेरे दादा, दादी ओर उस महिला की मृत्यु हो चुकी है। लेकिन वो नाजायज औलादें सारी संपत्ति पर कब्जा करके बैठी हैं और हमारा हिस्सा नहीं दे रही।

समाधान-

पहले तो आप यह तय करें कि यह सम्पत्ति पुश्तैनी है। अर्थात दादा को या उन्हें जिनसे उत्तराधिकार में मिली है उन्हें यह सम्पत्ति 17 जून 1956 के पहले उत्तराधिकार में प्राप्त हो चुकी थी, तभी यह सम्पत्ति सहदायिक सम्पत्ति होगी। यदि यह सहदायिक सम्पति है तो दादा के इस पर उस दूसरी स्त्री जो आपके दादा की पत्नी नहीं थी और उससे उत्पन्न सन्तानों का कोई अधिकार नहीं है।

सहदायिक सम्पत्ति में पुत्रों और 2005 के बाद से पुत्रियों को भी जन्म से ही हिस्सा प्राप्त हो जाता है। उस हिस्से से उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता। यदि दादा ने कोई वसीयत भी कर दी हो तब भी वसीयत में सबको इस तरह प्राप्त हिस्से के बाद शेष बचे उनके हिस्से की वसीयत ही वे कर सकते हैं।

यदि आपके दादा की कोई वसीयत नहीं है तो जिस संपत्ति पर आपके दादा की दूसरी महिला और उसके बच्चों ने कब्जा कर रखा है उस पर उनका कब्जा नाजायज है। आपको उनके विरुद्ध उस सम्पत्ति के कब्जे का वाद करना होगा और इस पर आपको कोर्टफीस देनी होगी। यदि दादा ने कोई वसीयत उस स्त्री और बच्चों के नाम कर रखी है है तो आपको बँटवारे और अपने हिस्सों पर पृथक कब्जे का दावा करना होगा क्योंकि तब यह माना जाएगा कि संपत्ति पर संयुक्त कब्जा है जिसमें आप भी शामिल हैं।

इस मामले में सभी तथ्यों पर विचार कर के तय करना पड़ेगा कि क्या उपाय किया जाए। इस कारण जरूरी है कि आप पहले तमाम दस्तावेजों और तथ्यों के आधार पर किसी अच्छे दीवानी वकील से परामर्श कर तय करें कि क्या उपाय करना है और तब दीवानी न्यायालय में कब्जे या बँटवारे का वाद संस्थित कराएँ।

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