तीसरा खंबा

साक्षी का दायित्व है कि सच बयान करे

पाठक गुलशन पूछते हैं …

विक्रय के अनुबंध (एग्रीमेण्ट) में साक्षी का क्या दायित्व है।  विक्रेता ने कपट (फ्रॉड) कर के क्रेता के नाम और अनुबंध की शर्तों को बदल दिया। सफेदा (white flude) लगा कर नाम बदल दिया। अगर गवाह नए क्रेता और अनुबंध की शर्तों से इन्कार कर दे और कहे कि नए अनुबंध में उस की गवाही को न माना जाए तो क्या अनुबंध निरस्त हो सकता है?  मैं उस अनुबंध में गवाह हूँ।
उत्तर …
गुलशन जी,
किसी भी दस्तावेज पर किसी गवाह के हस्ताक्षर इस लिए कराए जाते हैं कि उस दस्तावेज के किसी न्यायिक कार्यवाही में विवादित हो जाने पर वह गवाही दे सके कि उस की उपस्थिति में दस्तावेज को निष्पादित किया गया था। उस का यह कर्तव्य भी है कि वह न्यायालय को अथवा सक्षम प्राधिकारी के समक्ष बुलाए जाने पर सत्य तथ्यों को प्रकट करे और दस्तावेज के निष्पादन की अवस्था न्यायालय या प्राधिकरण को बताए। 
प के द्वारा प्रदर्शित मामले में आप ने जिस स्थिति में उस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं वही आप को बयान करना चाहिए। यदि आप के हस्ताक्षर होने के बाद एकतरफा तरीके से दस्तावेज में कपट पूर्वक कोई परिवर्तन किया गया है तो वह भी आप को अदालत के समक्ष बयान करना चाहिए। यही एक साक्षी का कर्तव्य है। यहाँ यदि आप कहेंगे कि दस्तावेज के निष्पादन के बाद दस्तावेज को अपने पास रखने वाले व्यक्ति ने उस में एकतरफा परिवर्तन किए हैं तो निश्चित रूप से अनुबंध का वर्तमान परिवर्तित स्वरूप निरस्त हो जाएगा।
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