सुमित कुमार ने अम्बाला (हरियाणा) से समस्या भेजी है कि-
मैं ने अपनी मर्जी से क़ानूनी तौर पर शादी की है। हम उँची जाति के है और मेरी पत्नी निम्न जाति की है। जबकि मैं जाति -पाती में विश्वास नहीं करता और मेरा परिवार भी मेरी इस शादी से खुश है। परन्तु समस्या यह है कि हम एक गांव में रहते हैं जिसके कारण मेरी इस शादी से गांव के कुछ लोग मेरे परिवार वालों के ऊपर ताने कसते हैं और बे-वजह की बातों से मेरे परिवार वालों को तकलीफ देते रहते हैं। यहाँ तक कि मेरे परिवार वालों का घर से बाहर निकलना मुस्किल हो गया है। सबसे बड़ी समस्या तो ये है कि मुझसे बड़ा एक मेरा भाई भी है जो कि अभी कुंवारा है, उसके रिश्ते में मेरी शादी विशेष रूप से रोड़ा साबित हो रही है, क्योंकि मेरे परिवार वाले भले ही मेरी शादी से खुश हों लेकिन समाज के हर उस व्यक्ति को समझाना मुश्किल है जो जाती-पाती में आज भी विश्वास करते हैं और ऐसी शादी को नहीं मानते। इसी कारणवश मेरा बड़ा भाई भी मुझसे नफरत करने लगा है। क्योंकि कानून जो भी हो लेकिन रिश्ता करने वाले कानून को नहीं बल्कि समाज को देखते हैं, मेरा भाई परिवार की सहमति से शादी करना चाहता है वो कानूनन की जाने वाली शादी को नहीं चाहता। कृपया मुझे बताएं की समाज (गांव) के अपशब्द बोलने वाले लोगों के खिलाफ हम कैसे क़ानूनी हल निकल सकते है और मेरे भाई की शादी की समस्या कैसे हल हो। ये भी बताएं कि क्या मेरे और मेरी पत्नी के खिलाफ मेरा भाई क्या कोई मुकदमा पेश कर सकता है तथा मेरा और मेरी पत्नी का पैतृक जायदाद में कोई अधिकार है। जायदाद मेरे दादा जी की है और दादा जी का स्वर्गवास हो चुका है।
समाधान-
आप की समस्या कानूनी नहीं अपितु सामाजिक है। हमारा कानून आगे बढ़ गया है और समाज बहुत पीछे छूट गया है। समाज में परिवर्तन का काम नहीं के बराबर है। आप की समस्या तभी समाप्त हो सकती है जब कि समाज बदले। आप की समस्या यह है कि आप उसी जाति समाज से सम्मान पाना चाहते हैं जिस के कायदों का आप ने उल्लंघन किया है। वह आप को सम्मान तभी दे सकता है जब कि वह आप के इस विवाह को स्वीकार कर ले। यह कानूनन नहीं किया जा सकता। इस के लिए तो समाज को बदलना होगा। यदि समाज में 5 प्रतिशत विवाह भी आप जैसे विजातीय संबंधों में होने लगें तो समाज का नियंत्रण समाप्त होने लगेगा। इस के लिए आप को समाज में चेतना का संचार करना पड़ेगा। जो जाति समाज रूपी कीचड़ से निकल कर खुली हवा में साँस लेना चाहते हैं उन्हें इस के लिए काम करना पड़ेगा। आप के विवाह के बाद जाति समाज ने जो व्यवहार आप के साथ किया है उस से आप का भाई व परिवार डर गया है। आप को उस का भय निकालना होगा। आप के प्रति जो व्यवहार किया जा रहा है उस का उद्देश्य यही है कि आप और आप का परिवार डरा रहे। लेकिन यदि यह भय निकल जाता है तो समय के साथ गाँव वालों का व्यवहार भी सामान्य होने लगेगा। यदि आप का भाई अच्छा खाता कमाता है तो यह समस्या कुछ समय बाद स्वतः सामान्य हो जाएगा और उसी जाति समाज से आप के भाई के लिए रिश्ते आने लगेंगे। इस समस्या का कोई कानूनी हल नहीं हो सकता।
जहाँ तक आप के व आप के परिवार के अपमान का प्रश्न है। आप को लगता है कि आप का कुछ अधिक ही अपमान किया जा रहा है तो आप अपमान करने वालों के विरुद्ध मानहानि के अपराधिक और दीवानी मुकदमे दायर कर सकते हैं। ऐसे एक दो मुकदमे दायर होने से इस तरह का व्यवहार करने वालों में मुकदमे का भय होगा और वे ऐसा व्यवहार करना बंद कर देंगे। लेकिन मुकदमा करने के बाद भी आप का व्यवहार ऐसे लोगों से शत्रुतापूर्ण न हो कर सबक सिखा कर पुनः मित्रता स्थापित करने वाला होना चाहिए तभी आप इस सामाजिक समस्या का मुकाबला कर सकेंगे। वे लोग जो कर रहे हैं वे नहीं जानते कि गलत कर रहे हैं उन्हें बाद में इस का अहसास होगा। वे अभी अपनी सड़ी गली परंपराओं की रक्षा कर रहे हैं।
आप की पुश्तैनी संपत्ति का प्रश्न है तो उस में आप का हिस्सा पूरी तरह बना हुआ है। यदि उस में आप का हिस्सा है तो वह अन्तर्जातीय विवाह करने के कारण आप से नहीं छीना जा सकता है। उस पर आप का अधिकार है। आप विभाजन का मुकदमा कर के अपने हिस्से का पृथक कब्जा प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन आप की पत्नी का उस में कोई हिस्सा नहीं होगा। वैसे भी आप जाति में परिवार की सहमति से विवाह करते तब भी आप की पत्नी का उस में कोई हिस्सा नहीं होता।