समस्या-
ग्राम खितवास, जिला ललितपुर, उत्तर प्रदेश से राम कदम पुरोहित ने पूछा है –
मेरे पिताजी का डाक सेवा की सेवा में रहते हुए निधन हो गया था। किन्तु विभाग में किसी भी आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिली। विभाग ने इस आधार पर फाइल बंद कर दी कि मृतक के परिजनों के पास विरासत में प्राप्त कृषि भूमि व आवासीय मकान है। इसलिए वह वरीयता में नहीं आते है। डाक विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति के लिए भी पात्रता का चयन होता है यानि शत प्रतिशत लोगों को अनुक्म्पा नियुक्ति नहीं मिल पाती है। मैं अथवा मेरे भाई किस तरह से नौकरी अपने पिता के स्थान पर पा सकते हैं। मामला करीब 10 साल पुराना हो गया है।
समाधान-
सरकारी, अर्धसरकारी विभागों तथा सरकार के उपक्रमों में कर्मचारियों की भर्ती भर्ती के लिए बनाए गए नियमों के अंतर्गत ही की जा सकती है। क्यों कि ये विभाग और उपक्रम सरकार के अधीन चलाए जाते हैं और सरकार भारत की जनता की प्रतिनिधि है। इस कारण से वे किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकते। सभी भारतीयों को सरकारी विभागों व उपक्रमों में अपनी योग्यता के अनुरूप इन विभागों और उपक्रमों में रिक्त सरकारी पद प्राप्त करने का अधिकार है। इस कारण से सामान्य नियम यह है कि पद रिक्त होने यह निर्धारित किया जाता है कि इस पद को भरने की आवश्यकता है अथवा नहीं। पद को भरने के लिए भर्ती की प्रक्रिया आरंभ होती है। फिर नियमों के अनुसार भर्ती की जाती है। लेकिन सरकार के इन विभागों में सेवारत कर्मचारियों में से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उस के आश्रित एकाएक असहाय न हो जाएँ। इस कारण से ऐसे असहाय कर्मचारियों के परिवारों को तुरंत राहत प्रदान करने के लिए भरती नियमों में यह उपबंध किया गया कि विभाग में रिक्त होने वाले पदों में से कुछ (5 से 10) प्रतिशत पद अनुकंपा नियुक्ति से भरे जा सकते हैं। अनुकंपा नियुक्ति के इस अधिकार का दुरुपयोग न हो इस के लिए अनुकंपा नियुक्ति के नियम बनाए गए हैं। कोई भी अनुकंपा नियुक्ति इन्हीं नियमों के अंतर्गत की जा सकती है, नियम विरुद्ध नहीं। ये नियम सरकार, विभाग, उपक्रम के लिए अलग अलग बने हैं। इन के उपबंधों में भी अन्तर है। लेकिन इस अन्तर के बाद भी कुछ सामान्य सिद्धान्त हैं जो सभी अनुकंपा नियुक्ति नियमों में सम्मिलित हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने वी.शिवमूर्ति बनाम आन्ध्रप्रदेश राज्य के मामले में अनुकंपा नियुक्ति के लिए कुछ सामान्य सिद्धान्त निर्धारित किए हैं।
सब से पहले सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा है कि ‘आनुवंशिक नियुक्तियाँ नाजायज हैं’, जिस का अर्थ यह है कि सार्वजनिक (सरकारी) सेवा में नियुक्तियाँ पूरी सख्ती के साथ आवेदन खुले आमंत्रण तथा योग्यता के अनुरूप संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 की पालना करते हुए ही दी जानी चाहिए इस के अतिरिक्त कोई भी अन्य तरीका मान्य नहीं हो सकता। लेकिन कुछ आकस्मिकताओं की पूर्ति के लिए अनुकंपा नियुक्ति इस का अपवाद है। अपवाद के लिए ये आकस्मिकताएँ निम्न हो सकती हैं-
1. जब परिवार का पालन पोषण करने वाले एक मात्र व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाए,
2. जब परिवार का पालन पोषण करने वाला व्यक्ति चिकित्सकीय रूप से अशक्त हो जाए तथा
3. जब किसी योजना के अंतर्गत भू-स्वामी की पूरी भूमि का सार्वजनिक उपयोग के लिए अधिग्रहण कर लिया जाए और उस योजना में अधिग्रहीत भूमि के स्वामियों को नियोजन देने का उपबंध किया गया हो।
कोई भी अनुकंपा नियुक्ति अधिकार के रूप में नहीं मांगी जा सकती न दी जा सकती है जब तक कि नियमों में उस के लिए उपबंध न हों। अनुकंपा नियुक्ति सख्ती के साथ योजना के नियमों के अनुसार केवल रिक्त पदों पर ही दी जा सकती है।
अनुकंपा नियुक्ति केवल मृत कर्मचारी की विवाहित जीवनसाथी, पुत्र या पुत्री को ही दी जा सकती है अन्य किसी रिश्तेदार को नहीं और केवल निचली श्रेणियों तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर ही की जा सकती है। अनुकंपा के आधार पर उच्च श्रेणी के पद हथियाने की युक्ति को अनुमत नहीं किया जा सकता है।
अब हम स्पष्ट हैं कि अनुकंपा नियुक्ति का मूल सिद्धान्त क्या है? यदि सार्वजनिक सेवा का कोई नियोक्ता नियमों के अनुरूप नियुक्ति नहीं कर के आवेदन को अस्वीकार करता है तो ऐसे अस्वीकार करने के आदेश को दीवानी न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी जा सकती है।
आप के मामले में एक तो पिता की मृत्यु को दस वर्ष से अधिक समय हो चुके हैं। वस्तुतः जो आकस्मिकताएँ पिता की मृत्यु के समय थीं वे तो समाप्त हो चुकी होंगी। दूसरा विभाग ने आप के मामले में कहा है कि मृत व्यक्ति कृषि भूमि उत्तराधिकार में छोड़ गया है जो वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराती है। निवास के लिए भी मकान उपलब्ध है जिस के कारण आप की आकस्मिकता ऐसी नहीं है कि नियुक्ति दी जा सके।
वास्तव में होता यह है कि अनुकंपा नियुक्ति केवल रिक्त पद पर दी जा सकती है। रिक्त पद विभाग में उपलब्ध नहीं होने पर ऐसी नियुक्ति देना संभव नहीं है। रिक्त पद उपलब्ध होने तक प्रतीक्षा की जाती है। रिक्त पद उपलब्ध होने तक एकाधिक आवेदन नियोक्ता के पास होते हैं। यदि आवेदन रिक्त पदों से अधिक हुए तो यह देखना उचित है कि किस परिवार के आश्रित को अधिक आकस्मिक आवश्यकता है। इस कारण विभाग द्वारा आप का आवेदन निरस्त किया जाना ठीक ही प्रतीत हो रहा है।
फिर भी आप को लगता है कि विभाग द्वारा आप का आवेदन निरस्त किए जाने का कारण उचित नहीं है और यह आदेश पारित किए अधिक समय नहीं हुआ है तो आप इस आदेश को रिट याचिका के द्वारा चुनौती दे सकते हैं। इस के लिए आप को इस तरह के मामलों में उच्च न्यायालय में प्रेक्टिस करने वाले किसी अच्छे वकील से संपर्क करना चाहिए।