तीसरा खंबा

सावधान ! अनाम टिप्पणीकार, सावधान!

जी, हाँ! अब अनाम टिप्पणीकारों को सावधान हो जाना चाहिए।

यदि आप ने कोई ऐसी टिप्पणी कर दी है जो किसी के लिए अपमान कारक है और किसी व्यक्ति की ख्याति को हानि पहुँचाता है तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के अंतर्गत; यदि कोई ऐसे कथन को प्रकाशित करता है तो वह धारा 501 के अंतर्गत और ऐसे मुद्रित या उत्कीर्ण कथन को बेचता है तो वह धारा 502 के अंतर्गत दो वर्ष तक की कैद  से दंडनीय अपराध करता है। इस के साथ ही साथ दुष्कृत्य विधि (Law of Torts) के अंतर्गत उस के लिए मुआवजा भी मांगा जा सकता है।

अंतर्जाल  पर इन दिनों अनाम टिप्पणियों की धूमं है। कोई भी बिना किसी नाम का उपयोग किए बिना या किसी फर्जी नाम का उपयोग कर के किसी भी तरह की टिप्पणी कर देता है और उस का कोई कुछ भी नहीं कर सकता। उस की पहचान करना और उसे तलाश करना आसान ही नहीं असंभव जो है। लेकिन भविष्य में भी कुछ ऐसा ही रहेगा यह नहीं कहा जा सकता है। आतंकवाद के बढ़ते खतरे के कारण अंतर्जाल पर सुरक्षा ऐजेंसियाँ कड़ी निगाह रखने लगी हैं। किसी भी अंतर्जाल उपयोगकर्ता की पहचान के लिए तरीके और उपकरण ईजाद किए हैं और ईजाद किए जा रहे हैं। इन का उपयोग आने वाले समय में सामान्य कानूनी दायित्वों के लिए होना अवश्यंभावी है। लेकिन बात इतनी सी नहीं है।

बात इस से भी आगे तक जाती है। हुआ यह कि अमरीका के इंडिपेंडेंट न्यूजपेपर्स इंक (आईएनआई) द्वारा संचालित वेबसाइट पर किसी व्यक्ति ने छद्म नाम से एक रेस्टोरेंट की बुराई कर दी। रेस्टोरेंट संचालक कंपनी ब्रोडी की इस से बदनामी हुई और व्यापार में हानि हुई। उस ने आईएनआई के विरुद्ध मानहानि और हर्जाने का दावा किया। अदालत ने आईएनआई के विरुद्ध दावा तो स्वीकार नहीं किया लेकिन उसे टिप्पणीकार का नाम बताने का आदेश दे दिया। आईएनआई ने इस आदेश के विरुद्ध ऊँची अदालत में अपील की है, जिस में निर्णय होना शेष है।


यह मामला यूँ महत्वपूर्ण बन गया है कि इस में विचार और राय प्रकट करने की स्वतंत्रता का बिंदु भी विवाद का विषय है और साथ ही अपमानीकृत व्यक्ति द्वारा अपमान के दुष्कृत्य या अपराध करने वाले व्यक्ति से मानहानि और उस से हुई हानि के लिए क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के हेतु अपमानकर्ता की पहचान जानने के अधिकार का बिंदु भी। 

हम यदि भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो यहाँ विचार और राय प्रकट करने की स्वतंत्रता का बिंदु अमरीका के मुकाबले अधिक महत्व नहीं रखता। दूसरी और दुष्कृत्य विधि के अंतर्गत क्षतिपूर्ति के लिए दावा करने तथा अपराध विधि के अंतर्गत सजा दिलाने का अधिकार अपमानित व्यक्ति को है। इस तरह का कोई मुकदमा किसी भारतीय अदालत के सामने आया तो वह निश्चय ही वेबसाइट के संचालक को टिप्पणीकर्ता की पहचान बताने का आदेश देने में कोई बाधा नहीं आएगी। 

Exit mobile version