एक हिन्दू महिला ने उसके दो बच्चे होने के बाद अपने पति से तलाक ले लिया। उस के दोनों बच्चे उस ने अपने साथ रखे। एक बच्चा १६ साल दूसरा १४ साल का है। इसके बाद महिला ने अन्य हिन्दू व्यक्ति से विवाह कर लिया और दोनों बच्चो को अपने नए पति के यहाँ ले गयी। सर! मेरा प्रश्न क्या बच्चो के उतराधिकार उनके कौन से पिता के पास सुरक्षित होंगे जो उनका मूलपिता है वहाँ पर या उनकी माता जिस नए पति के साथ रह रही वहा पर या दोनों पिता के यहाँ पर कानूनन किसके उतराधिकारी होंगे?
-विजयकुमार , इन्दौर, मध्यप्रदेश
आप का प्रश्न उन पुत्रों के संबंध में है जिन की माँ ने पति से तलाक ले कर दूसरा विवाह कर लिया है और अपने पुत्रों को साथ ले गई है तथा अपने संरक्षण में रखे हुए है। तलाक की इस घटना के कारण पत्नी के तलाक ले लेने से वह अब पत्नी नहीं रह गई है इस कारण से उसने अपने पूर्व पति का उत्तराधिकार प्राप्त करने का अधिकार खो दिया है। लेकिन पुत्र या पुत्री तो सदैव पिता या माता के होते हैं। इस कारण पुत्रों के तलाकशुदा पत्नी के पास रहने से और पत्नी के दूसरा विवाह कर लेने मात्र से पुत्रों का अपने पिता का उत्तराधिकार प्राप्त करने का अधिकार समाप्त नहीं हुआ है। इस तरह पुत्रों का अपनी माँ के साथ रहने से जिस ने दूसरा विवाह कर लिया है, अपने जन्मदाता पिता का उत्तराधिकार प्राप्त करने का अधिकार बना हुआ है।
इसी तरह केवल अपनी तलाकशुदा माता के किसी पुरुष से विवाह कर लेने से वह पुरुष उन पुत्रों का पिता नहीं हो गया है। अधिक से अधिक उसे सौतेला पिता कहा जा सकता है। उस पुरुष का उत्तराधिकार उन बच्चों को प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है जो उस की पत्नी के पूर्व पति की संतान हैं लेकिन अपनी माँ के साथ उस के पास रह रहे हैं। इस तरह आप कह सकते हैं कि तलाक शुदा माँ के साथ उस के दूसरे पति के साथ रह रहे पुत्रों का अपने मूल पिता से उत्तराधिकार प्राप्त करने का अधिकार जीवित है, और माँ के दूसरे पति के साथ रहने मात्र से उन्हें अपने सौतेले पिता का उत्तराधिकार नहीं प्राप्त होगा।
केवल एक स्थिति में ही ऐसे पुत्र अपने पिता का उत्तराधिकार प्राप्त करने वंचित हो कर अपने सौतेले पिता का उत्तराधिकार प्राप्र कर सकते हैं जब कि उन्हें उन के मूल पिता ने सौतेले पिता को दत्तक दे दिया हो सौतेले पिता ने दत्तक ग्रहण कर लिया हो और इस में माता की सहमति सम्मिलित रही हो। दत्तक दे दिए जाने और ग्रहण कर लिए जाने के कारण वे अपने मूल पिता का उत्तराधिकार प्राप्त करने का अधिकार खो देंगे तथा दत्तक ग्रहण करने वाले पिता का उत्तराधिकार प्राप्त करेंगे। फिर भी दत्तक ग्रहण करने के पूर्व तक वे अपने मूल पिता के परिवार की जिस सहदायिक संपत्ति में अपना अधिकार प्राप्त कर चुके होंगे वे उस से वंचित नहीं किए जा सकेंगे।