अंकित ने मेड़ता, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मेरा नाम अंकित है म्रेरी उम्र 26 वर्ष है मेरे दो पुत्र है मेरी सरकारी नौकरी अभी तक नही लगी है लेकिन मै एक लड़की गोद लेना चाहता हू मै ये जानना चाहता हू कि कानूनन रूप से दो से ज्यादा बच्चे 2002 के बाद होने पर सरकारी नौकरी मे तथा यदि हम चुनाव लड़ना चाहे तो भी कई समस्याए आती है मै जानना चाहता हू कि क्या मै लड़की को गोद ले सकता हू ये जो नियम है दो से ज्यादा बच्चो का यह किन किन जगहो पर लागू होता है क्या यह नियम (दो से अधिक बच्चो का)सिर्फ राजस्थान की स्टेट लेवल की नौकरी मे ही लागू है या ये केन्द्र की नौकरी मे भी लागू है क्या यह नियम केवल दो से ज्यादा प्रसव होने पर ही लागू होता है यानि यदि दो प्रसव बाद हम किसी को गोद लेते है तो क्या यह नियम लागू नही होता है कृपा करके मेरी समस्या पर ध्यान दे
समाधान-
केन्द्र, राज्य सरकार व सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों के सेवा नियमों में इस तरह के प्रावधान हैं कि 2002 के बाद से जिन लोगों ने तीसरा बच्चा पैदा किया हो वे सेवा ग्रहण करने के अयोग्य होंगे तथा जो सेवा में हैं वे अगले पाँच वर्ष तक पदोन्नति से वंचित रहेंगे। लेकिन हर राज्य, केन्द्र और संस्थानों के नियम भिन्न हैं। उन सब का निहितार्थ अलग अलग हो सकता है। इस कारण जिस सेवा से आप का तात्पर्य हो उस सेवा के सेवा नियमों का आप को अध्ययन करना चाहिए और स्वयं ही उस का तात्पर्य समझने की कोशिश करना चाहिए। यह ठीक से समझ लेना चाहिए कि आप के क्या करने के? क्या परिणाम? हो सकते हैं। हम यहाँ उन सब नियमों की व्याख्या नहीं कर सकते। अभी तक इन नियमों की कोई न्यायिक व्याख्या भी उपलब्ध नहीं है, जिस से दिशा प्राप्त की जा सके। यदि किसी खास नियम को संदर्भ बना कर यहाँ समस्या प्रस्तुत की जाती तो उस नियम की व्याख्या करने की कोशिश की जा सकती थी।
सामान्य रूप से इन नियमों में तीसरी संतान होने पर असुविधाएं खड़ी की गई हैं। इन नियमों में संतान शब्द का प्रयोग किया गया है और औरस व दत्तक संतानों में विभेद नहीं किया गया है। संतान में भेद नहीं किया दत्तक संतान को भी उस में सम्मिलित मानना चाहिए। इस कारण आप के दृष्टिकोण से इस का अर्थ यही लेना उपयुक्त होगा कि दत्तक संतान भी उस की संतानों में सम्मिलित होगी। क्यों कि इस से विपरीत अर्थ लेने से आप तीसरी संतान गोद लेने पर राजकीय सेवा से वंचित हो जाएंगे। इस तरह की स्थितियों में स्वयं से संबंधित नियमों का स्वयं ही अध्ययन कर उस का तात्पर्य समझ कर अपने हितों को सुरक्षित करना चाहिए।