तीसरा खंबा

हकत्याग क्या है? और यह कैसे होता है?

समस्या-

विवेक श्रीवास्तव ने 32, हाथी थान सिरोंज, जिला विदिशा, म.प्र. से पूछा है-

हक़ त्याग (निर्मुक्ति) को विस्तार से समझाएं और मेरी असमंजसता का निवारण करें कि किसी परिवार में पिता की मृत्यु के पश्चात हुए उत्तराधिकारी नामान्तरण के माध्यम से पिता के स्वामित्व की भूमि उत्तराधिकारियों को प्राप्त होती है। इन उत्तराधिकारियों में तीन बहन दो भाई और मां है एवं एक अन्य व्यक्ति है जिसे पूर्व में पिता ने भूमि का कुछ अंश विक्रय किया है। अब तीनों बहने अपने दोनों भाइयों में से एक को अपना स्वत्व प्रदान कर भूमि से निर्मुक्त होना चाह रही हैं। क्या ऐसी परिस्थिति में हक़ त्याग हो सकता है? क्या उसमें अन्य सहखातेदारों के हक़ को भी समान हक प्रदान करना आवश्यक होगा? एवं क्या बहनों को अपने भाइयों और माँ को भी समान भाग त्याग करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में हकत्याग का पंजीयन संभव होगा। कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी।

समाधान-

हकत्याग के संबंध में पहले यह समझ लें कि यह केवल संयुक्त संपत्ति में ही संभव है। संयुक्त संपत्ति दो तरह से निर्मित हो सकती है। पहली तो ये कि कुछ लोग मिल कर संयुक्त रूप से कोई संपत्ति खऱीद लें, या उत्तराधिकार के अतिरिक्त अन्य किसी तरह से उन्हें किसी एक संपत्ति में स्वामित्व उत्पन्न हुआ हो। दूसरी संयुक्त संपत्ति उत्तराधिकार से बनती है। किसी संपत्ति के स्वामी की मृत्यु हो जाने पर उस संपत्ति पर उसके तमाम उत्तराधिकारियों का संयुक्त रूप से स्वामित्व स्थापित हो जाता है। इस संपत्ति में सभी उत्तराधिकारियों का एक हिस्सा होता है, जो 1/2 से ले कर 1/ज्ञ तक कुछ भी हो सकता है।

सभी तरह की संयुक्त संपत्तियों में कोई भी व्यक्ति अपने हिस्से को विक्रय कर सकता है, दान कर सकता है या फिर किसी अन्य रीति से हस्तान्तरण कर सकता है। इस तरह के प्रत्येक हस्तान्तरण क्योंकि स्थाई संपत्ति का हस्तान्तरण है और उस का मूल्य 100/- रुपए से अधिक होता है। इस कारण से इस प्रत्येक हस्तान्तरण का पंजीयन उप पंजीयक कार्यालय में होना जरूरी है। अन्यथा वह दस्तावेज कभी भी न्यायालय में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए जाने योग्य नहीं होता।

यदि संयुक्त संपत्ति के स्वामियो में से कोई एक व्यक्ति अपने हिस्से का स्वामित्व किसी ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों को हस्तान्तरित करता है जो स्वयं भी इसी संपत्ति के पहले से स्वामी हैं तो यह हस्तान्तरण “हकत्याग” अथवा कहलाता है? इस तरह के हस्तांतरण में संपत्ति हस्तान्तरण के प्रतिफल के रूप में जिसे संपत्ति प्राप्त होती है वह कुछ नहीं देता और जो संपत्ति हस्तांतरित करता है वह कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं करता। हकत्याग करने के लिए हकत्याग विलेख अथवा रिलीज डीड निष्पादित कर उसे पंजीयन कराना आवश्यक है।

विक्रय और दान आदि के माध्यम से हुए संपत्ति हस्तान्तरण में संपत्ति के बाजार मूल्य पर 7-8 प्रतिशत से कुछ कम या अधिक लगती है। यह हर राज्य में अलग अलग है। लेकिन यह हक त्याग किसी रक्त संबंधी के हक में हो तो उस में पंजीयन शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी बहुत कम लगती है। यदि हकत्याग किसी अन्य व्यक्ति के हक में मसलन उस व्यक्ति के हक में जो आप की इस संपत्ति का एक हिस्सा खरीद लेने के कारण हिस्सेदार है किया जाए तो उस पर विक्रय के समान ही शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी।

आप की समस्या यह है कि आप यह समझ रहे हैं कि हक त्याग किसी एक व्यक्ति के हक में नहीं हो कर सभी सहस्वामियों के हक में करना होता है। पर ऐसा नहीं है। कोई भी व्यक्ति किसी भी सहस्वामी के हक में अपना स्वामित्व त्याग सकता है।

आप के मामले में आप की बहनें अपने स्वामित्व के हिस्से को आप के हक में त्याग सकती हैं किसी भी अन्य व्यक्ति को हिस्सा त्याग करना आवश्यक नहीं है। अर्थात केवल आप के हक में हिस्सा त्याग सकती हैं, जरूरी नहीं कि दूसरे भाई और माँ के हक में वे हक त्याग करें।

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