समस्या-
भूपेन्द्र सिंह ने सिवनी, मध्यप्रदेश से पूछा है –
1. मेरे दादा जी के पास 1925 में लगभग 4 एकड खेत था उनके मरने के बाद लगभग 1930 में उसमे मेरे पिता जी एवं बडे पिता जी का नाम संयुक्त रूप से नाम आ गया बाद में मेरे पिता जी को कुछ जमीन का हिस्सा गिफट में 8 एकड ( किसी की सेवा करने के बदले ) मौखिक रूप से मिला था, जिसे संयुक्त खाता पिता एवं बडे पिता जी के खाते में जोड दिया गया इस तरह कुल रकबा 12 एकड हो गया। क्या बाद में जोडा गया रकबा जो कि गिफट के रूप में मिला था सहदायिक संपत्ति है?
2. बाद में मेरे पिता जी एवं बडे पिता जी का बँटवारा हुआ। चूंकि यह संयुक्त खाता था, इस कारण दोनों भाइयों को 6 – 6 एकड खेत मिला। बाद में मेरे पिता जी ने मेरे जन्म से पहले ही 6 एकड में से 3 एकड बेच दिया गया। यदि वह सम्पत्ति सहदायिक थी तो फिर उसमें मेरा अंश क्या होगा जब हम तीन बहन दो भाई एवं एक मॉ जीवित हो तब।
3. मेरे पिता जी की मृत्यु 1990 में हुई म़त्यु के पहले उन्होंने हम दो भाइयों के मान से लगभग 3 एकड खेत में बटवारा नामा करवा कर रजिस्टर्ड कर दिया है कुछ अंश बचा है जिसमें दो बहनों हम दो भाइयों एवं एक माँ का नाम अंकित है। क्या बहनें उस बटवारे नामे से भी हिस्सा ले सकती है क्या यदि ले सकती हैं तो हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 5 (6) के अंतर्गत 20 दिसम्बर 2004 के पूर्व हुए बटवारा का नियम कहां लागू होगा।
4. यदि बहनें हिस्सा लेंगी तो फिर कितने रकबे में से कुल रकबा जो पहले 6 एकड था जिसमें से मेरे पिता जी ने 3 एकड बेच चुके हैं या शेष बची 3 एकड जो अभी वर्तमान में है जो पहले बेच चुके रकबे जो कि मेरा उस समय जन्म भी नही हुआ था किस के हिस्से में जुडेगी।
समाधान-
आप की समस्या का बहुत कुछ हल तो इस बात से तय होगा कि रिकार्ड में क्या दर्ज है और समय समय पर जो दस्तावेज निष्पादित हुए हैं उन में अधिकार किस तरह हस्तांतरित हुए हैं। यहाँ आप ने जो भी तथ्य हमारे सामने रखे हैं उन के तथा हिन्दू विधि के आधार पर हम आप को अपने समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं।
आप के पिता जी को जो गिफ्ट के रूप में 8 एकड़ मिला है वह सहदायिक संपत्ति नहीं है, सहदायिक संपत्ति केवल वही हो सकती है जो किसी पुरुष पूर्वज से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई हौ। वैसी स्थिति में यह 8 एकड़ भूमि स्वअर्जित भूमि थी। चूंकि इस का नामांतरण आप के पिता व बड़े पिता के नाम हुआ इस कारण यह दोनों की संयुक्त संपत्ति तो हुई लेकिन सहदायिक नहीं हुई।
आप के पिता व बडे पिता के बीच बंटवारा हुआ और दोनों को 6-6 एकड़ भूमि मिली। आप के पिता को मिली भूमि में से उन्हों ने 3 एकड़ भूमि बेची। शेष भूमि को सहदायिक भी माना जाए तब भी उस सहदायिक भूमि का दाय पिता की मृत्यु पर होगा। पिता की मृत्यु 1990 में हुई है। तब कानूनी स्थिति यह थी कि सहदायिक संपत्ति में किसी पुरुष का हि्स्सा उस की मृत्यु पर यदि उस के उत्तराधिकारियों में कोई स्त्री होगी तो वह हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 से दाय निर्धारित होगा। ऐसे में आप की माँ, तीन बहनें और दो भाई कुल 6 उत्तराधिकारियों में बराबर हिस्से होंगे। इस तरह प्रत्येक को 1/2 एकड़ भूमि का हिस्सा प्राप्त होगा।
यदि पिता के जीवित रहते ही कोई बंटवारानाम रजिस्टर हुआ है तो उस संपत्ति में आप की बहनें हिस्सा प्राप्त नहीं कर सकेंगी। क्यों कि वह बंटवारा नामा पिता की मृत्यु के पहले हो चुका था। शेष बची भूमि जो कि पिता के हिस्से की रह गयी होगी उस में वही बराबर के छह हि्स्से होंगे प्रत्येक बहिन 1/6 हिस्सा प्राप्त करेगी।