हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 विवाह विच्छेद की व्यवस्था भी करता है। लेकिन इस में विवाह के पक्षकारों की सहमति से विवाह विच्छेद की व्यवस्था 1976 तक नहीं थी। मई 1976 में एक संशोधन के माध्यम से इस अधिनियम में धारा 13-ए व धारा 13-बी जोड़ी गईं, तथा धारा 13-बी में सहमति से विवाह विच्छेद की व्यवस्था की गई।
धारा 13-बी में प्रावधान किया गया है कि यदि पति-पत्नी एक वर्ष या उस से अधिक समय से अलग रह रहे हैं तो वे यह कहते हुए जिला न्यायालय अथवा परिवार न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं कि वे एक वर्ष या उस से अधिक समय से अलग रह रहे है, उन का एक साथ निवास करना असंभव है और उन में सहमति हो गई है कि विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर विवाह को समाप्त कर दिया जाए।
इस तरह का आवेदन प्राप्त होने पर न्यायालय आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से छह माह उपरांत और अठारह माह पूरे होने के पूर्व यदि ऐसा आवेदन पक्षकारों द्वारा वापस नहीं ले लिया जाता है तो उस आवेदन की सुनवाई और जाँच के उपरान्त इस बात से संतुष्ट हो जाने पर कि आवेदकों के मध्य विवाह संपन्न हुआ था और पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत आवेदन के कथन सही हैं, डिक्री पारित करते हुए दोनों पक्षकारों के मध्य विवाह को डिक्री की तिथि से समाप्त किए जाने की घोषणा कर देता है।