तीसरा खंबा

हिन्दू विवाह का विच्छेद न्यायालय की डिक्री से ही संभव।

hindu-marriage-actसमस्या-

घनश्याम ने फैज़ाबाद,उत्तरप्रदेश से पूछा है-

मेरा विवाह २०११ में हुआ था। शादी के बाद से ही हमारेपत्नी – पति के बीच झगड़ा होता रहता था। मेरी पत्नी मेरे माता पिता के साथनहीं रहना चाहती है। उसके घरवाले जिसमें उस के पिता, मामा और भाई अक्सरतलाकनामा लिखवाने की धमकी देते रहते है। साथ ही गुंडों से मरवाने की धमकीदेते है। ऐसी हालत में हम बहुत हीअसहाय हो गए है,समझ मेंनहीं आता कीक्या किया जाय। मेरी पत्नी अक्सर हम लोगों को धमकी देती रहती है।मैं अपनेमाँ-बाप की एकमात्र संतान हूँ, इस हालत वे सभी बहुत ही परेशान रहते है। अतः आप सुझाव दें की क्या न्यायालय में इसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है, बार-बारतलाक नामा लिखवाने व मारने की धमकी देने के बारे में।मुझे आपकीसहायता की जरुरत है।

 

समाधान-

दि पत्नी आप के माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती है तो आप को पत्नी का मन बदलना पड़ेगा। कोई भी अदालत या पुलिस या कोई अन्य एजेंसी पत्नी को आप के पास रहने को बाध्य नहीं कर सकती। यदि पत्नी माता-पिता के साथ रहने को तैयार नहीं है और आप उन से अलग होना नहीं चाहते तो फिर शांति इसी में है। आप को यह विवाह विच्छेद कर लेना चाहिए। आप अपनी पत्नी और ससुराल वालों से स्पष्ट कह दें कि आप अपने माता-पिता को नहीं छोड़ सकते वह चाहे तो विवाह विच्छेद कर ले।

दि आप के ससुराल वाले आप को धमकी देते हैं वह भी मार डालने की तो यह एक अपराध है। आप को उस की शिकायत लिखित में उस पुलिस थाने में प्रस्तुत करनी चाहिए जिस में धमकी दी गई है। यदि पुलिस कार्यवाही न करे तो आप उस इलाके के मजिस्ट्रेट को परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।

लाकनामा लिखने या विवाह विच्छेद की कार्यवाही अदालत के बाहर संभव नहीं है।  परंपरागत हिन्दू विधि में तलाक या विवाह विच्छेद जैसी कोई बात ही नहीं थी।  विवाह विच्छेद का अधिकार हिन्दू विवाह अधिनियम-1955 से प्राप्त हुआ है। उस के अनुसार यदि कोई विवाह विच्छेद होता है तो वह न्यायालय की डिक्री से ही होगा। उस के लिए किसी एक को विवाह विच्छेद की या दोनों को सहमति से विवाह विच्छेद के लिए आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।

Exit mobile version