तीसरा खंबा

हिन्दू विवाह विच्छेद न्यायालय की डिक्री के बिना संभव नहीं।

Headache_paintingसमस्या-

टी आर शर्मा ने पलवल, हरियाणा से समस्या भेजी है कि-

मेरी बहिन का विवाह २००२ में हुआ था उस के २ बच्चे है जब शादी हुई है जब से मार पीट करता है और शक भी करता है जबकि खुद ठीक नहीं है। दो महीने पूर्व उस के साथ बुरी तरह मारपीठ करने के बाद एक पत्र लिखवाकर कि मैं अपनी मर्जी से तलाक चाहती हूँ, इस में मुझे कोई आप से और आपकी प्रॉपर्टी से कोई लेना देना नहीं होगा तथा बच्चे मेरे पास रहेंगे लिखवा लिया और भगा दिया। जो प्रॉपर्टी मेरी बहिन के नाम थी वो भी उस ने कानूनन अपने नाम करा ली और अब कहता है कि मेरा आपसी रजामंदी से तलाक कानूनन हो चुका है तुझे जो करना है कर। जब कि मेरी बहिन के पास आज तक कोई कानूनन पेपर नहीं आया। मेरी बहिन तलाक नहीं चाहती है। मेरी बहिन ने अपना सरकारी हॉस्पिटल से मेडिकल भी करवा लिया था जिस में काफी मारपीट दर्ज है जिस का उसे पता नहीं है क्या ऐसे तलाक हो सकता है कृपया मदद करें।

समाधान-

किसी भी हिन्दू विवाह में पति पत्नी के बीच विवाह विच्छेद बिना न्यायालय की डिक्री के संभव नहीं है। उस के लिए या तो सहमति से आवेदन देना होता है जिस में कम से कम दो सुनवाई और छह माह बाद ही विवाह विच्छेद संभव है। किसी भी तरह के दस्तावेज लिखवा लेने से कोई तलाक संभव नहीं है। इस तरह आप की बहिन का कोई तलाक नहीं हुआ है। किसी भी तरह की स्थाई संपत्ति भी बिना उप पंजीयक के यहाँ हस्तातन्तरण पंजीबद्ध हुए बिना किसी भी अन्य व्यक्ति के नाम हस्तान्तरित नहीं हो सकती है।

प के बहनोई ने आप की बहिन को मारपीट कर कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा लिए हैं और जबरन बच्चों को अपने पास रखते हुए पत्नी को घर से निकाल दिया है। यह धारा 498ए आईपीसी के अन्तर्गत दंडनीय अपराध है। आप की बहिन का स्त्री धन भी छीन लिया गया है। इस तरह उस ने 406 आईपीसी का भी अपराध किया है। आप की बहिन को चाहिए कि इस की रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज कराए। यदि पुलिस कार्यवाही करने से इन्कार करे तो न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर उसे जाँच हेतु पुलिस को प्रेषित कराए।

प की बहिन इस के अतिरिक्त घरेलू हिंसा अधिनियम में कार्यवाही कर सकती है, बच्चों की कस्टड़ी लेने के लिए कार्यवाही कर सकती है। भरण पोषण राशि प्राप्त करने के लिए कार्यवाही कर सकती है। धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम में दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन कर सकती है। पर हमारी राय है कि जिस तरह बहिन के पति ने उसे घर से निकाला है उस स्थिति में उस का अपने पति के साथ फिर से रहने का कोई औचित्य हमें प्रतीत नहीं होता है।

ये सब कार्यवाहियाँ करने के लिए आप को किसी स्थानीय वकील की मदद लेनी होगी। इस कारण आप को किसी स्थानीय वकील से सलाह कर के आगे की कार्यवाहियाँ करनी चाहिए।

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