तीसरा खंबा

हिन्दू स्त्री की संपत्ति में उस के जीते जी किसी का कोई अधिकार नहीं

समस्या-

नितिन ने मायापुरी, बैंक कॉलोनी, यमुनानगर, हरियाणा से पूछा है-

क्या पोता दादी की संपत्ति में अपने संपत्ति के अधिकार का दावा कर सकता है? जब संपत्ति को दादा से दादी में स्थानांतरित नहीं किया गया है, बल्कि दादी ने 1984 में अपने माता-पिता से मदद के साथ अपनी संपत्ति प्राप्त की है, उस संपत्ति की खरीद में दादा का कोई योगदान नहीं है। यहां तक कि दादी ने पहले ही अपने बेटे और उसकी पत्नी को समाचार पत्र में हलफनामे और विज्ञापन की मदद से अक्टूबर 2015 में अपनी सभी संपत्ति से बेदखल कर दिया। पोते ने हलफनामे में संपत्ति से बेदखल होने के बाद जन्म लिया है। बेटे की बहु ने दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 39 नियम 1 और 2 के तहत एक आवेदन के साथ अस्थायी इंजंक्शन के लिए अदालत में अपने बेटे / पोते की ओर से मामला दायर किया है। जबकि पोता सिर्फ अभी तीन साल का है कृपया मार्गदर्शन करें कि दादी की संपत्ति में पोते का कोई अधिकार है।

समाधान-

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम-1956 की धारा-14 में हिन्दू स्त्री की संपत्ति के बारे में उपबंध किया गया है। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14 निम्न प्रकार है-

14. हिन्दू नारी की संपत्ति उसकी आत्यंन्तिकत: अपनी संपत्ति होगी — (1) हिन्दू नारी के कब्जे में कोई भी संपत्ति, चाहे वह इस अधिनियम के प्रारंभ से पू्र्व या पश्चात अर्जित की गई हो, उसके द्वारा पूर्ण स्वामी के तौर पर न कि परसीमित स्वामी के तौर पर धारित की जाएगी ।

इस प्रकार दादी की जो भी संपत्ति है उस पर किसी का भी कोई अधिकार नहीं है। दादी के जीतेजी वे उस की पूर्ण स्वामी हैं। वे अपनी संपत्ति को विक्रय कर सकती हैं, दान कर सकती हैं, वसीयत कर सकती हैं। यदि उन की संपत्ति उन के जीवन काल के उपरान्त बिना किसी वसीयत के हुई तो उस समय उन के जो भी उत्तराधिकारी होंगे उन्हें उस का उत्तराधिकार मिल सकता है।

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