तीसरा खंबा

हिस्से और बँटवारा कैसे होगा?

rp_land-demarcation-150x150.jpgसमस्या-

यशवन्त चौहान ने उज्जैन मध्यप्रदेश से पूछा है-

मेरे पिताजी उनके सात भाई और दादीजी के नाम से कृषि ज़मीन है। दादाजी का स्वर्गवास १९८० में हो गया था। ज़मीन दादाजी के नाम से थी। १९८२ में ज़मीन के खाते पटवारी रिकॉर्ड में पिताजी की ४ बहनों की सहमति से दादीजी एवं ८ भाई का समान भाग हो गया था। दादीजी का स्वर्गवास १ वर्ष पूर्व २०१५ में हो गया है। उक्त जमीन उज्जैन म.प्र. में है।  मेरा प्रश्न है कि क्या मेरे पिताजी की चार बहनों का जो अभी जीवित हैं। उक्त ज़मीन में बहनों का कानूनन क्या हक़ बनता है।  दादीजी के भाग पर या समस्त ज़मीन पर उक्त ज़मीन का बटवारा भी करवाना है, इस की क्या प्रक्रिया है?

समाधान-

मीन आप के दादा जी की थी। उन के देहान्त के उपरान्त आप के पिता, चाचा बुआएँ और दादी सभी समान रूप से उत्तराधिकारी थे। चूंकि नामान्तरण बुआओँ की सहमति से हुआ है तो उन्होंने रिलीज डीड निष्पादित करते हुए या अन्यथा अपना हक छोड़ते हुए नामान्तरण दर्ज करवा दिया। इस तरह उक्त भूमि में केवल नौ समान खातेदार हो गए।

अब दादी जी का भी स्वर्गवास हो चुका है। उक्त भूमि में 1/9 हिस्सा दादीजी का था। उन की मृत्यु के समय कुल 8 पुत्र तथा चार पुत्रियाँ उन की उत्तराधिकारी हुईँ इस तरह 1/9 हिस्से के भी 12 उत्तराधिकारी हुए। प्रत्येक को 1/108वाँ हिस्सा प्राप्त होगा। इस तरह आप के पिताजी की चार बहनों में से प्रत्येक का 1/108वाँ हिस्सा उक्त भूमि में है। इसी तरह आप के पिता व उन के भाइयों में से प्रत्येक को भी यह 1/108वाँ हिस्सा प्राप्त हुआ है। जो उन के 1/9वें हिस्से में सम्मिलित होने के उपरान्त उन का हिस्सा 13/108वाँ हो गया है। इसी तरह यह बँटवारा होगा।

बँटवारा आपसी सहमति से कराया जा सकता है या फिर कोई एक हिस्सेदार न्यायालय में बँटवारे का वाद संस्थित कर सकता है शेष हिस्सेदार सहमत हों तो सहमति का जवाब प्रस्तुत कर सकते हैं और उस आधार पर वाद डिक्री हो कर उस की पालना रिकार्ड में हो सकती है। बँटवारे के लिए आप को स्थानीय वकील से सलाह और मदद प्राप्त करना चाहिए।

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