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समस्या-
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मेरे पिताजी की मृत्यु सन 2009 जुलाई में हो गई थी। मृत्यु के बाद वह अपने पीछे 28 बीघा आवासीय प्रॉपर्टी और मकान नगरपालिका के अंतर्गत छोड़ गए। सभी प्रॉपर्टी और मकान पिताजी को हिस्सेदारी में, उनके बड़े भाई से प्राप्त हुई थी। जो कि मेरे पिताजी की स्वयं की खरीदी नहीं थी। मेरे पिताजी के मरने के बाद मैंने अपना हिस्सा अपने भाई से मांगा, तो उसने आश्वासन दिया कि आपको आपका हिस्सा दे देंगे। मेरे पिताजी वसीयत कर गए हैं जिसकी जानकारी केवल मेरे भाई को है और किसी को नहीं है। मैंने कई बार वसीयत दिखाने के लिए भाई को बोला तो वह दिखाने से मना कर देता है। सन 2010 में सारी प्रॉपर्टी और मकान पर मेरे भाई ने अपना नाम दर्ज करवा लिया है और अब हिस्सा भी नहीं दे रहा है। क्या मेरी बिना रजामंदी के या सहमति के प्रॉपर्टी पर भाई का नाम चढ़ सकता है? जबकि सभी प्रॉपर्टी पर उसने अपना नाम दर्ज करवा लिया है। मुझे क्या करना चाहिए सलाह दीजिए।
– वंदना, के ब्लॉक, किदवई नगर, कानपुर, उत्तर प्रदेश
समाधान-
आप की समस्या से यह स्पष्ट नहीं है कि आप की कितनी संपत्ति कृषि भूमि है और कितनी नगरीय संपत्ति। उत्तर प्रदेश में स्थित कृषि भूमि पर अलग विधि प्रभावी है और नगरीय भूमि पर अलग। उत्तराधिकार के कानून के अनुसार हो सकता है कि कृषि भूमि में आप का हिस्सा न हो पर नगरीय संपत्ति में आप का हिस्सा भाई के बराबर होना चाहिए। जब भाई ने 2010 में सब संपत्ति अपने नाम करवा ली है तो आपने अब तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया? किसी भी अधिकार के लिए देरी कर के उठाए गए कदम अक्सर देरी के कारण निष्फल हो जाते हैं। लेकिन अब आप को बिलकुल देरी नहीं करनी चाहिए। आप को तुरन्त पता करना चाहिए कि भाई ने राजस्व विभाग में तथा नगरीय संपत्ति के मामले में नगर पालिका/परिषद/निगम आदि में किस आधार पर नामांतरण करवाया है।
आप किस तरह संपत्ति में अपना हिस्सा प्राप्त कर सकती हैं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि नामान्तरण कैसे और किस आधार पर हुआ है। यदि नामांतरण वसीयत के आधार पर करवाया है तब भी आप को उसका नोटिस मिलना चाहिए था। यदि नामान्तरण हो चुका है और उस का आधार वसीयत है तो आप को वसीयत और नामांतरण दोनों को चुनौती देनी होगी। इस के लिए आप को बंटवारे का दीवानी वाद संस्थित करना होगा। यदि उसमें भाई वसीयत के आधार पर अपना अधिकार प्रदर्शित करता है तो आप को सिद्ध करना होगा कि यह वसीयत फर्जी है या दबाव से बनवाई गयी है। बेहतर है कि सब से पहले आप नामान्तरण और उसके आधार की जानकारी करें और उस के बाद विधिक कार्यवाही करें। बेहतर है इस मामलें में संपत्ति जहाँ स्थित है उस क्षेत्र के किसी अच्छेल विश्वसनीय दीवानी वकील से मिल कर परामर्श करें और आगे की कार्यवाही करें।