समस्या-
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मेरे बड़े मामा जी ने — 22 जनवरी 2018 को अपनी चल अचल संपत्ति की रजिस्टर्ड वसीयत अपने छोटे भाई के नाम की, उनकी शादी नहीं हुई थी, उनकी कोई संतान नहीं थी, उस समय उनकी आयु 67 वर्ष थी। उसके बाद उनका अपने छोटे भाई से लड़ाई झगड़ा हो गया। बाद में उन्होंने अपनी एक नई अपंजीकृत वसीयत अपनी बहन के बेटे के नाम, अपने भांजे को — 6 अप्रैल 2018 में की। अपंजीकृत वसीयत में उन्होंने पंजीकृत वसीयत के बारे में लिखा और कहा कि मैं उसको स्वयं निरस्त करता हूं और उसको खारिज करता हूं और अपने लड़ाई झगड़े के बारे में भी जो उनका छोटे भाई से हुआ था उसको भी वसीयत में लिखा। जिसका कारण का हवाला देते हुए उन्होंने नई वसीयत लिखी और वसीयत में उन्होंने अपनी प्रत्येक चल अचल संपत्ति का ब्यौरा दिया। अपना बैंक अकाउंट अपनी प्रॉपर्टी और उनकी प्रॉपर्टी में पूर्व में बेची गई प्रॉपर्टी से प्राप्त रुपया। उसके 2 दिन बाद उनका देहांत हो गया 8 अप्रैल 2018 को। उक्त अपंजीकृत वसीयत कोर्ट में दाखिल करें तो मान्य होगी? जबकि वसीयत करते समय दो गवाह मौजूद थे।
– राजवीर, सिविल लाइन, इलाहाबाद, (उत्तर प्रदेश)
समाधान-
किसी भी व्यक्ति की अंतिम वसीयत ही मान्य होती है। वसीयत को पंजीकृत किया जाना अनिवार्य नहीं है। ऐसी वसीयत को उन गवाहों की गवाही से जिन के सामने वह निष्पादित की गयी थी प्रमाणित किया जा सकता है।
आप के बड़े मामा जी की वसीयत भी मान्य होगी यदि उसे उसके गवाहों की गवाही से प्रमाणित कर दिया जाए। आप उसे न्यायालय में प्रस्तुत कर सकते हैं और उसे गवाहों के माध्यम से प्रमाणित कर सकते हैं। गवाहों से प्रमाणित होने के बाद उस के आधार पर पूर्व में की गयी पंजीकृत वसीयत को निरस्त मान लिया जाएगा।