समस्या-
जयपुर, राजस्थान से अंजलि शर्मा ने पूछा है –
मेरी उम्र 25 बर्ष है। मेरी शादी को सवा साल हो चुके हैं। मेरे कोई संतान नहीं है। मेरे पति का प्यार मेरी तरफ न होकर अपने घर वालों की तरफ अधिक है। वो मेरे से ज्यादा उनकी सुनते हैं और उन्हीं की मानते हैं। मेरी एक ननद और एक देवर है। ननद अपने ससुराल को छोड़कर मेरे ससुराल के पास किराये पर रहती है और वो लगभग रोजाना हमारे घर आ जाती है। उनके दो बच्चे भी है। ननद, उनके पति, बच्चे इन सभी का खर्च मेरे ससुराल वाले उठा रहे हैं। वो अधिकतर मेरे प्रति मेरी सास और ससुरजी को व मेरे पति को भड़काया करती है। मेरे पति भी अधिकतर उन्हीं की सुनते हैं और मदद करते हैं। जब मैं इस बारे में उनसे कहती हूँ तो हम दोनों में कहा सुनी हो जाती है। मेरे ससुर का स्नेह ननद की तरफ ज्यादा है। उन्हों ने हमसे झूठ बोला कि उनके लड़के को 15000 मिलते हैं जबकि उन्हें 9000 मिलते थे। उनके पास इन्जीनिरिंग की कोई डिग्री भी नहीं है और बहुत से सब्जेक्ट ड्यू चल रहे हैं। मेरे पति सिर्फ अपने ऊपर और अपने घर वालों के ऊपर ही खर्च करते हैं। मेरे बारे में बिलकुल भी नहीं सोचते हैं। मेरे घर वालों ने मेरी शादी में जो ज्वेलरी दी थी, वो ये कहते हैं की ये ज्वेल्लेरी तेरी न होकर हमारी है। वो मेरे ऊपर एक बार हाथ उठा चुके हैं जिस का विरोध मैं ने नहीं किया। वो मेरे कुछ कहने पर बार बार गुस्सा करते हैं और हमेशा तेज आवाज़ में बोलते हैं। मैं शादी के दस महीने बाद किसी भी तरह से अपने पति के साथ जहाँ वो जॉब करते हैं चली गयी। वो हमेशा मुझे जयपुर भेजने की कहते रहते हैं और जब सारा परिवार एक साथ मिल जाता है तो मेरा मजाक उड़ाते हैं। मैं ने एडजस्ट करने की बहुत कोशिश भी की पर अब मुझसे सहन नहीं किया जाता। अब मैं क्या कदम उठाऊँ?
समाधान-
आप की समस्या आम मध्यवर्गीय परिवारों की समस्या है जिन में बहू कोई ऐसा काम नहीं करती जिस से उस की आय हो और वह आत्मनिर्भर हो। इस तरह के मध्यवर्गीय परिवारों में आय के साधन सीमित होते हैं और खर्च अधिक होता है। निश्चित रूप से घर के कुछ सदस्यों को इस का खामियाजा भुगतना पड़ता है और सब से अधिक खामियाजा बहुओं को ही उठाना पड़ता है। वे घर में दिन भर सब से अधिक काम करती हैं और उन्हें परिवार से सिर्फ उतना ही मिलता है जितना उन के जीने के लिए पर्याप्त है। पहनने के कपड़े भी तब बन पाते हैं जब बहुत जरूरी हो जाएँ। खाने पीने की मामूली इच्छा पूरी करने के लिए भी बहुत जोर लगाना पड़ता है। बहू के बाद सब से अधिक जोर उस के पति पर पड़ता है। यहाँ आप के मामले में आप के पति परिवार के एक मात्र कमाऊ सदस्य हैं। उन पर परिवार की जिम्मेदारियाँ भी हैं उन्हें निभाते हुए उन के पास इतना ही बच पाता है कि वे अपनी थोड़ी बहुत इच्छाएँ पूरी कर लें। आप की इच्छा पूर्ति करना तो बहुत दूर की बात है।
आप की परिस्थितियाँ ऐसी हैं कि आप ससुराल की परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति वाली पुत्री को जो सहायता आप के परिवार से मिलती है उसे बंद करने की बात करेंगी तो परिवार की शत्रु और कलहकारी मानी जाएंगी। पति की आय सीमित है, आप के सास ससुर कैसे भी अपनी पुत्री को सहायता देना बंद करने की नहीं सोचेंगे। ऐसे में आप के पति ने गुस्से में आप पर हाथ उठा दिया। आप ने उस का प्रतिवाद नहीं किया यह ठीक नहीं किया। आप को पति को स्पष्ट कहना चाहिए कि आप ये सहन नहीं करेंगी। यदि सहन करेंगी तो पति को हाथ उठाने का अभ्यास हो जाएगा और आप की परेशानी घटने के स्थान पर बढ़ जाएगी। आप ने कहा है कि आप के पति का प्रेम आप के प्रति कम और परिवार वालों की तरफ अधिक है। यह एक स्वाभाविक स्थिति है। धीरे धीरे जब आप का उन के जीवन में महत्व बढ़ेगा तो स्थितियाँ आप के पक्ष में बदलेंगी।
आप के जेवर आप के हैं। जो आप को अपने मायके से मिले हैं वे भी और जो आप को ससुराल से या अन्य लोगों से भेंट में मिले हैं वे भी। इस के अतिरिक्त आप को दहेज में या उपहार में मिले सभी सामान आप का स्त्री-धन हैं। यदि आप के पति या ससुराल वाले उस पर अपना अधिकार प्रदर्शित करते हैं या उन का दुरुपयोग करते हैं तो वे धारा 406 भा.दं.संहिता का अपराध करेंगे। पति का हाथ उठाना या किसी भी प्रकार से मानसिक या शारीरिक हानि पहुँचाने का कर्म करना भी धारा 498-ए भा.दं.संहिता का अपराध है।
लेकिन, एक मध्यवर्गीय परिवार की लड़की और बहू के लिए सीधे कानूनी लड़ाई का मार्ग अपनाना भी अपने जीवन में कष्टों को आमंत्रण देना है। इस कारण से आप को अपने अधिकारों को परिवार में स्थापित करना आरंभ करना होगा। आप अपने पति को कहें कि आप का जेवर और उपहार में मिली अन्य संपत्ति आप की है। आप की इच्छा के विरुद्ध उन का कोई भी प्रयोग करता है तो गलत करता है। आप आज कल अपने पति के साथ उन की नौकरी के स्थान पर रह रही हैं। उन्हें धीरे धीरे समझाना आरंभ करें। कल से आप के बच्चे होंगे, आप का अपना परिवार होगा। बच्चे हो जाने पर आप के पति माता-पिता, भाई-बहन को मदद करने की स्थिति में नहीं रह जाएंगे। उस के बारे में आप पति को समझाएँ कि वे इस बारे में सोचना आरंभ करें।
आप पढ़ी लिखी समझदार प्रतीत होती हैं। यदि आप की पढ़ाई का स्तर ऐसा है कि आप कोई नौकरी प्राप्त कर सकती हैं या कुछ और पढ़ाई या वोकेशनल ट्रेनिंग करने पर नौकरी करने की स्थिति बन सकती हो तो तुरन्त उस दिशा में प्रयास करें। क्यों कि यदि जीवन में आप का व्यक्तित्व बन सकता है तो सिर्फ और सिर्फ आप के अपने पैरों पर खड़े हो कर ही बन सकता है। आप के ससुराल और पति की स्थिति ऐसी प्रतीत नहीं होती कि आप केवल घरेलू महिला हो कर एक सम्मानजनक जीवन बिता सकें। आप अपने पति को समझा सकती हैं कि आप परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उस में अपना योगदान देने के बारे में सोच रही हैं जो कि गलत नहीं है। फिलहाल आप की परिस्थितियों में किसी तरह की कानूनी कार्यवाही करने की स्थिति दिखाई नहीं देती। आप के स्वयं के प्रयास से परिस्थितियाँ काबू में आ सकती हैं। यदि परिस्थितियाँ अधिक खराब होने की स्थिति बने तो कानूनी कार्यवाही करने के बारे में सोचा जा सकता है। लेकिन उस के पहले आप को अपने माता-पिता या भाई-बहिन को सारी स्थितियों से अवगत कराना होगा और आवश्यकता पड़ने पर उन से सहायता प्राप्त करनी होगी। फिर भी आप को प्रयास करना चाहिए कि आप आत्मनिर्भर होने का प्रयत्न करें और अपनी इस गृहस्थी को बनाए रखें।