दयानन्द तिवारी ने सितारगंज, उत्तराखण्ड से पूछा है-
मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ। उस कंपनी के फैक्ट्री मैनेजर ने मेरे ऊपर रिश्वत लेने का झूठा आरोप लगाया है जिस से पूरी कंपनी में मेरी इज्जत खराब हुई है। मेरे आत्मसम्मान को बहुत ठेस पहुँची है। मेरे सात वर्ष के कार्यकाल में पहली बार किसी ने इतना बुरा आरोप लगाया है जिस से मैं बहुत आहत हूँ। कई बार आत्महत्या करने का विचार मन में आता है। कृपया मुझे सलाह दें। मुझे मानहानि का मुकदमा करना है।
समाधान-
आत्महत्या करना किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। उस से तो जान चली जाएगी। मृत्यु से व्यक्ति की जान तो चली जाती है लेकिन उस का मान सम्मान या अपमान पीछे छूट जाता है। लोग तो यही समझेंगे कि उस व्यक्ति पर आरोप सही था इस कारण उस ने ग्लानि से आत्महत्या कर ली। इस से आप पर लगाए गए लांछन से तो आप को मुक्ति मिलने से रही। इस कारण आत्महत्या का विचार पूरी तरह मूर्खता पूर्ण विचार है। इसे तुरन्त त्याग दें।
आप पर आरोप मौखिक रूप से लगाए हैं तो सब से पहले तो आप को गवाह जुटाने होंगे जो ये कह सकें कि उन के सामने आरोप लगाया गया है। क्यों कि मानहानि के लिए आप जो भी कार्यवाही करेंगे उस में अदालत के सामने आप को साबित करना पड़ेगा कि मैनेजर ने कुछ लोगों के सामने आप पर आरोप लगाया जिस से आप के सम्मान को हानि हुई और आप बदनाम हुए। कंपनी मैं आप को गवाह आसानी से नहीं मिलेंगे। क्यों कि सब वहाँ कर्मचारी होते हैं और अक्सर इस बात से भयभीत रहते हैं कि यदि उन्हों ने मैनेजर के विरुद्ध गवाही दी तो वह उन से बदला लेगा और उन की नौकरी भी खतरे में पड़ जाएगी। यदि आप को ठोस गवाह मिल जाएँ जो अदालत में अपना बयान न बदलें तो आप किसी वकील से मिल कर न्यायालय में मानहानि का परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
यदि आरोप लिखित लगाया है, अर्थात आप को कोई कारण बताओ नोटिस दिया गया हो या आरोप पत्र दिया गया हो तो फिर आप के विरुद्ध कंपनी में भी अनुशासनिक कार्यवाही होगी जिस में घरेलू जाँच होगी जिस में कंपनी को प्रमाणित करना होगा कि आप पर लगाया गया आरोप सही है। आप को वहाँ बचाव का अवसर प्राप्त होगा। यदि आप पर आरोप लिखित पत्र (कारण बताओ नोटिस या आरोप पत्र) के माध्यम से लगाया गया हो तो उस के आधार पर तुरन्त न्यायालय में परिवाद कर सकते हैं।