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आपको खुद अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा।

समस्या-

आशुतोष जांगीड़ ने माधोराजपुरा, फागी, जयपुर (राजस्थान) से पूछा है-

मेरे भाई की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को अनुकम्पा नियुक्ति मिली है जो हमारे साथ नहीं रहती है। मै अविवाहित हँ और मेरी बूढ़ी मां के साथ रहता हूँ और मैं बेरोजगार हूँ। मेरा एक बड़ा भाई है जो कि अपने परिवार के साथ अलग रहता है। हमारे कोई आजीविका का साधन नहीं है। हमारी भूखे मरने की नोबत आ गई है हम क्या करें?

समाधान-

आपके भाई की विधवा पत्नी को अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त हुई क्यों कि उनके पति की मृत्यु हो गयी। इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है। आपका एक बड़ा भाई कमाता है और अपने परिवार के साथ अलग रहता है। आप भी अविवाहित वयस्क हैं।

यदि आप समझते हैं कि अपने भाई की विधवा पत्नी पर आप अपना और अपनी माँ के पालन पोषण का भार डाल सकते हैं तो आपकी यह सोच गलत है। यह अवश्य है कि आपकी माँ के पास स्वयं के भरण पोषण के लिए कोई साधन नहीं है तो वह आपके भाई, विधवा भाभी और आपके विरुद्ध भरण पोषण के लिए धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत प्रार्थना पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकती हैं। आप रोजगार में नहीं हैं तो अदालत उन्हें आपके रोजगार शुदा भाई और विधवा भाभी से पर्याप्त धनराशि भरण पोषण के लिए दिला सकती है। माँ की इस कोशिश के दौरान उन दोनों में से स्वैच्छा से कोई भी या दोनों मिल कर आपकी माँ की जिम्मेदारी उठा सकते हैं। लेकिन आपको तो अपने जीवन यापन का साधन खुद ही तलाशना होगा।

इस देश में सरकारी नौकरी करने वाले लोग बहुत कम हैं। करोड़ों परिवार हैं जिनके पास न कोई सरकारी नौकरी है और न ही कोई जमीन मकान जैसा कोई साधन जिससे उन्हें स्वयमेव आय होती हो। वे भी अपने पैरों पर खड़े होते हैं। उनके पास यह कहने को नहीं है कि उनका कोई परिजन नौकरी में रहते हुए मर गया है और उसे उनके स्थान पर नौकरी दी जाए। इसलिए आपको चाहिए कि इस तरह विवशता में जीने के स्थान पर अपने लिए रोजगार की व्यवस्था करें। अपनी माँ का भार अपने रोजगारशुदा भाई पर छोड़ें। आप चाहेंगे और कोशिश करेंगे तो आपको कोई न कोई रोजगार मिल जाएगा। रोजगार के लिए यह न सोचें कि कोई छोटा काम करना पड़ रहा है। कोई काम छोटा नहीं होता। आप छोटे काम को करते हुए बड़े बन सकते हैं।

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