तीसरा खंबा

आप को अपना प्रतिकूल कब्जा साबित करना होगा

समस्या-

राकेश कुमार ने ग्राम-पिपचो, जिला-कोडरमा, झारखंड से पूछा है-


बन्धु कहार मेरे परदादा हैं इन्हीं के नाम ख़ातियानी भूमि है जो 1910 में बना था। इनके दो पुत्र हुए, कालीराम और छोटूराम। छोटूराम मेरे दादा जी थे, इनके तीन पुत्र हुए। फिर तीनों के पुत्र हुए यानी हम लोग, हम लोगों के भी पुत्र,पुत्रियां हैं। काली राम जो मेरे दादा के भाई थे उनकी भी शादी गनेसी  नाम की महिला से हुई थी। उनका एक बेटा रामलाल था। लेकिन शादी के दो साल बाद ही उनका तलाक हो गया वो हमेशा हमेशा के लिए ससुराल छोड़ दी और अपने बच्चे के साथ मायके में रहने लगी। जिसके बाद उनका ससुराल और अपने पति से कोई लेना देना कभी नहीं रहा। लम्बे समय बीत जाने के बाद कालीराम ने दूसरी शादी कर ली दूसरी शादी के बाद कालीराम काफी बीमार रहने लगे जिनका इलाज, देखभाल मेरे दादा जी द्वारा किया गया और अन्ततः उनकी मृत्यु 1945 में हो गई। दूसरी शादी से उनका कोई संतान नहीं हुआ। पति के मृत्यु के बाद दूसरी पत्नी की भी जल्द ही मृत्यु हो गई। इस तरह से मेरे परदादा बन्धु कहार की भूमि का नामांतरण सीधे मेरे दादा छोटूराम के नाम हो गया  जिसका बटवारा मेरे पिता के भाइयों में फिर मेरे भाइयों में हो गया जिस पर हम लोग काबिज कायम हैं। क्योंकि कालीराम के वंश में कोई नहीं रहा…
                अब मामला यह है कि कालीराम की पहली पत्नी गनेसी देवी कभी भी अपने पति के जीवित रहने या उनके मरने के बाद भी उनको न देखने तक आई न कभी किसी सम्पत्ति पर दावा किया। बाद में उनकी भी मृत्यु हो गई। उनका बेटा रामलाल भी न कभी अपने पिता के घर आया न कभी किसी सम्पत्ति का दावा किया। रामलाल की तीन शादी हुई थी। पहली दो से कोई संतान नही हुआ तीसरी से एक बेटा है। रामलाल की और उनकी दोनों पत्नियों की मृत्यु हो चुकी है। उनकी तीसरी पत्नी भी  पति के जीवित रहते हुए भी उक्त सम्पत्ति में किसी तरह का न दावा किया न कभी आई। अब रामलाल का बेटा और पत्नी हम लोगों पर 2022 में बँटवारा का केस कर दी है और कालीराम के पैतृक संपत्ति पर दावा किया जा रहा है। * जबकि कालीराम को ही पैतृक संपत्ति कोई हिस्सा नहीं प्राप्त था। 1. क्या उनका दावा सही है? 2. क्या उनको इतने लंबे समय बीत जाने के बाद इतनी पीढ़ी बीत जाने के बाद। काली राम की सेवा, इलाज सभी मेरे दादा जी द्वारा किया गया। उसमें उनका कोई रोल नहीं है। उक्त सम्पति का कई हिस्सों में बटवारा होने के बाद भी हिस्सा मिल सकता है?


समाधान-

आपने यह नहीं बताया कि आपके दादाजी की मृत्यु कब हुई? परदादाजी की मृत्यु के बाद नामान्तरण आपके दादाजी के नाम हुआ। इस तरह वे उक्त भूमि के एक मात्र स्वामी के रुप में जमीन पर काबिज रहे। उसके बाद उनके उत्तराधिकारी उस पर काबिज रहे। इस स्थिति को 20 वर्ष से अधिक समय हो चुका है। इस बीच किसी ने कोई आपत्ति नहीं की है।

इस स्थिति में आप के दादाजी के उत्तराधिकारियों का कब्जा उक्त भूमि पर स्वामी की भाँति है और उस पर आपका प्रतिकूल कब्जा (Adverse possession) है। इस तरह अब रामलाल की पत्नी और पुत्र का दावा मियाद बाहर है और चलने योग्य नहीं है उसे इसी आधार पर निरस्त कर दिया जाना चाहिए। एक मात्र यही एक आधार ऐसा है जिससे आपको सफलता प्राप्त हो सकती है। अन्य आधार आपत्ति के लिए सही हैं। लेकिन उनके आधार पर किसी तरह की सफलता हासिल नहीं की जा सकती।

लेकिन प्रतिकूल कब्जे को आपको साबित करना होगा। जिसे साबित करना आसान नहीं होता। इसके लिए आपको वकील बहुत अच्छा और अनुभवी होना चाहिए जो इस बिन्दु को साबित करने के लिए उचित साक्ष्य प्रस्तुत कर सके और वादी के गवाहों से ठीक से जिरह कर सके और कानून का अच्छा जानकार हो।

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