तीसरा खंबा

उच्च न्यायालय में हिन्दी में रिट व अन्य याचिकाएँ …

jabalpur highcourtसमस्या-

चुरहट, मध्यप्रदेश से पूनम सिंह ने पूछा है-

क्या उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका या अन्य कोई आवेदन हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया जा सकता है? क्या याचिका को पोस्ट के माध्यम से भेजने पर स्वीकृत हो सकता है।

समाधान-

देश के कुछ राज्यों के उच्च न्यायालयों में हिन्दी में रिट याचिका या अन्य किसी भी प्रकार की याचिका प्रस्तुत की जा सकती है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार राज्यों के उच्च न्यायालयों में हिन्दी में कार्य होता है। उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, और झारखंड राज्य भी इन्हीं राज्यों से पृथक हुए हैं इस कारण इन राज्यों के उच्च न्यायालय भी हिन्दी में कार्य होना चाहिए।  आप मध्यप्रदेश से हैं। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में हिन्दी में कार्य होता है वहाँ रिट याचिका या अन्य कोई भी कार्यवाही हिन्दी में संस्थित की जा सकती है।

न्यायालय में संस्थित प्रत्येक मामले में कम से कम दो पक्ष होते हैं और न्यायालय दोनों ही पक्षों को सुन कर अपना निर्णय प्रदान करता है। सुनवाई में दोनों पक्षों का उपस्थित होना अनिवार्य है। इस कारण कोई भी प्रकरण व्यक्तिगत रूप से ही न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस से पक्षकार को यह भी ज्ञान रहता है कि उस के द्वारा प्रस्तुत या उस के विरुद्ध प्रस्तुत प्रकरण में क्या कार्यवाही हो रही है। इस कारण डाक से याचिका प्रस्तुत करने का अभी तक कोई प्रावधान नहीं है। हालाँ कि सर्वोच्च न्यायालय में ई-फाइलिंग सुविधा अवश्य प्रदान की गई है।

डाक से भेजी गई याचिका या पत्र के किसी महत्वपूर्ण जनहित से संबद्ध होने पर को याचिका के रूप में स्वीकार करने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय को है लेकिन यह न्यायालय की इच्छा है कि वे उसे याचिका के रूप में स्वीकार करें या न करें। इस कारण यदि आप किसी मामले को उच्च न्यायालय के समक्ष ले ही जाना चाहते हैं तो आप को स्वयं ही उपस्थित हो कर, यहाँ तक कि किसी सक्षम वकील के माध्यम से ही उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।

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