यहाँ मृतक कर्मचारी की नौकरी के कारण मिलने वाले लाभों में से अनुकंपा के आधार पर मिलने वाली नौकरी और पेंशन को छोड़ कर अन्य सभी लाभ मृतक कर्मचारी की संपत्ति हैं और उन का बंटवारा उत्तराधिकार के कानून के अनुसार होगा। इस मामले में मृतक कर्मचारी की पत्नी और सभी संतानों का जो कि संख्या में कुल 9 हैं, मृतक की संपूर्ण संपत्ति में समान भाग है। इस तरह एक उत्तराधिकारी के हिस्से में संपत्ति का नौवाँ हिस्सा आएगा। कोई भी एक उत्तराधिकारी संपत्ति के बंटवारे का दावा कर सकता है।
जहाँ तक पेंशन का प्रश्न है तो वह केवल मृतक की पत्नी और मृतक के अवयस्क संतानों को ही मिल सकती है अन्य को नहीं। सरकारी सेवा अनुकंपात्मक नियुक्ति, जैसा कि इस का नाम है अधिकार नहीं है। यह नियोजक पर निर्भर करता है कि वह नौकरी दे अथवा न दे। नियम बने होने के बाद भी वह नियुक्ति देने से इन्कार कर सकता है। वह यह भी देखेगा कि क्या मृत कर्मचारी के परिवार को सहायता की आवश्यकता है? और है तो वह किसे नौकरी देने से पूरी की जा सकती है। इस के अलावा वह मृत कर्मचारी के सभी उत्तराधिकारियों से किसी एक उत्तराधिकारी को नौकरी देने के लिए अनापत्ति भी चाहेगा। जब उत्तराधिकारियों के बीच ही अनुकंपात्मक नियुक्ति प्राप्त करने के लिए विवाद हो तो नियोजक किसी को भी वह नौकरी नहीं देगा। वह किसी को भी नौकरी देने से इन्कार कर सकता है।