श्री नरेश सिह राठौड़ तीसरा खंबा के स्थाई पाठक हैं। पिछली पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हों ने पूछा है-
जब हम किसी व्यक्ति के न्यायिक हिरासत में होने पर उसे जमानत पर रिहा होने के लिए किसी की जमानत देते हैं, तब उस परिस्थिति में जमानतदार की क्या स्थिति रहती है ?
उत्तर –
नरेश भाई का प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण है। कभी भी किसी भी व्यक्ति या उस के मित्र या रिश्तेदार द्वारा आप से यह कहा जा सकता है कि आप न्यायालय के समक्ष उस की जमानत दे दें जिस से बंदी न्यायिक हिरासत से रिहा हो सके। आप नजदीकी मित्र होने या रिश्तेदार होने के कारण मना भी नहीं कर सकते। अब प्रश्न यह है कि आप के जमानत दे देने पर क्या क्या दायित्व हो सकते हैं? या क्या क्या परिणाम हो सकते हैं?
आप से जमानत जब भी मांगी जाती है तो एक जमानत प्रपत्र पर आप के हस्ताक्षर लिए जाते हैं और आप को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने को कहा जाता है। न्यायालय में स्वयं मजिस्ट्रेट या जज या न्यायालय का रीडर आप को यह बताता है कि आप किस बात की जमानत दे रहे हैं। लेकिन यह भी हो सकता है कि वहाँ आप को यह सब न बताया जाए। इस लिए यह आवश्यक है कि जमानत का प्रपत्र जो कि एक बंधपत्र होता है उस पर हस्ताक्षर करने के पहले आप यह अवश्य पढ़ लें कि उस में क्या लिखा है? यह बंधपत्र दंड प्रक्रिया संहिता के प्ररूप सं. 45 में दिया गया है जो निम्न प्रकार है –
प्ररूप सं. 45
थाने या न्यायालय के भारसाधक अधिकारी के समक्ष हाजिर होने के लिए बंधपत्र और जमानत पत्र
(धारा 436, 437,438(3) और 441 देखिए)
मुचलका
मैं …………………………..(नाम)………………………….पुत्र श्री …………………………. जाति…………… निवासी …………………………………… हूँ तथा ……………………… थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा बिना वारंट गिरफ्तार या निरुद्ध कर दिए जाने पर (या ………………. न्यायालय के समक्ष लाए जाने पर) अपराध अंतर्गत धारा ……………………………………… से आरोपित किया गया हूँ तथा मुझ से ऐसे अधिकारी या न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए प्रतिभूति देने की अपेक्षा की गई है, मैं स्वयं को इस बात के लिए आबद्ध करता हूँ कि मैं ऐसे अधिकारी या न्यायालय के समक्ष ऐसे प्रत्येक दिन, हाजिर होऊंगा, जिस में ऐसे आरोप की बाबत कोई अन्वेषण या विचारण किया जाए, तथा मैं अपने को आबद्ध करता हूँ कि यदि इस में चूक करूँ तो मेरी ……………………………….. रुपए की राशि समपहृत हो जाएगी।
तारीख ………………… हस्ताक्षर
जमानत-पत्र
मैं …………………………..(नाम)………………………….पुत्र श्री …………………………… जाति……….. निवासी ………………………………………………………..स्वयं को अभियुक्त …………………………………. के लिए, इस बात के लिए प्रतिभू घोषित करता हूँ कि वह …………………………….. थाने के भार साधक अधिकारी या ……………………………… न्यायालय के समक्ष ऐसे अन्वेषण के प्रयोजन के लिए या उस के विरुद्ध आरोप का उत्तर देने के लिए उपस्थित होगा औऱ मैं इस बंध-पत्र के द्वारा अपने को आबद्ध करता हूँ कि इस में उस के द्वारा चूक किए जाने की दशा में मेरी रुपए ………………………… की राशि समपहृत हो जाएगी।
तारीख ………………… &nb
sp; हस्ताक्षर |
इस प्रपत्र के दो भाग हैं। प्रथम भाग व्यक्तिगत बंध-पत्र है जिसे मुचलका लिखा गया है और दूसरा भाग प्रतिभू का बंधपत्र है जिसे जमानत लिखा गया है। प्रथम भाग पर बंधपत्र की राशि अकित की जा कर स्वयं अभियुक्त के हस्ताक्षर कराए जाते हैं और दूसरे भाग पर जमानत की राशि अंकित की जा कर अभियुक्त की जमानत देने वाले जमानती के हस्ताक्षर कराए जाते हैं। इस प्रपत्र की भाषा से ही प्रथम दृष्टया समझा जा सकता है कि जमानत पर छूटने वाले अभियुक्त और उस की जमानत देने वाले जमानती के दायित्व क्या हैं?
जमानत देते समय जमानती का एक शपथ पत्र इस आशय का भी लिया जाता है कि उस की आर्थिक हैसियत कितनी है? आज कल कुछ न कुछ दस्तावेज जमानती को इस बात का भी दिखाना पड़ता है जिस से यह पता लग सके कि उस की आर्थिक हैसियत क्या है। इस के लिए जमानती के मकान या जमीन के दस्तावेज, या किसी वाहन के स्वामित्व के दस्तावेज देख कर संतुष्ट हो जाती है कि जमानती पर्याप्त राशि की जमानत देने लायक है। इस के अतिरिक्त अदालत आज कल जमानती की फोटो आई.डी. अर्थात सचित्र परिचय-पत्र भी देखती है कि वास्तव में जमानत देने वाला व्यक्ति वही तो है जो वह स्वयं को घोषित कर रहा है। जो राशि जमानत पत्र में भरी जाती है उसे जमानती को देख लेना चाहिए जिस से उसे पता रहे कि उस ने कितनी राशि की जमानत दी है। क्यों कि यह राशि अक्सर जमानत-प्रपत्र को भरते समय पता नहीं होती और अदालत उसी समय बताती है। तब इस बात की तसल्ली कर लेनी चाहिए कि कितनी राशि की जमानत आप दे रहे हैं। किसी राशि विशेष की जमानत देने का अर्थ है कि आप थाने को या अदालत को यह आश्वासन दे रहे हैं कि अभियुक्त मुकदमे के अनुसंधान के दौरान बुलाये जाने पर पुलिस थाने पर या अदालत में मुकदमे की हर सुनवाई के दिन उपस्थित होता रहेगा और यदि वह आवश्यक होने पर उपस्थित नहीं होगा तो उस के जमानत मुचलके की राशि जब्त कर ली जाएगी।
जब भी कोई अभियु्क्त न्यायालय में अपेक्षित होने पर उपस्थित नहीं होता है तो उस की जमानत और मुचलका जब्त कर लिए जाते हैं और अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी कर दिया जाता है। साथ ही अभियुक्त और जमानती के विरुद्ध एक नयी कार्यवाही दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 446 के अंतर्गत संस्थित की जा कर दोनों को सूचना भेजी जाती है कि क्यों न उन से जमानत और मुचलके की राशि वसूल की जाए। आम तौर पर वारंट पर गिरफ्तार किए जाने से बचने के लिए अभियुक्त स्वयं ही अदालत के सन्मुख उपस्थित हो कर अपनी जमानत का आवेदन देता है तब न्यायालय अभियुक्त की जमानत ले ने के अवसर पर इस धारा 446 की कार्यवाही की भी सुनवाई करता है और उस का निर्णय करता है। अभियुक्त के न्यायालय में उपस्थित हो जाने के कारण न्यायालय जमानत या मुचलके की जब्त की गई राशि में क