समस्या-
बालोदा बाजार, छत्तीसगढ़ से संतोष चावला ने पूछा है –
केवियट आवेदन अंतर्गत धारा 148 (क) व्यवहार प्रक्रिया संहिता 1908 को यदि किसी वरिष्ठ न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है तो क्या केवियट आवेदन के साथ अधीनस्थ न्यायालय के उस आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपी जिसके संबंध में यह आशंका है कि इसकी अपील होगी, प्रस्तुत करना/ संलग्न किया जाना आवश्यक है? या नहीं?
समाधान-
यहाँ किसी शीघ्र प्रस्तुत होने वाले वाद में किए जाने वाले आवेदन का उल्लेख है जिस के संबंध में कैवियट प्रस्तुत की जा सकती है। अब इस स्थिति में जब वाद का ही अस्तित्व नहीं है, केवल उस की संभावना मात्र है। इस स्थिति में किसी अधीनस्थ न्यायालय के किसी आदेश या निर्णय का अस्तित्व भी नहीं होगा। वैसी स्थिति में कैवियट प्रस्तुत करने के लिए इस की अनिवार्यता नहीं हो सकती कि अधीनस्थ न्यायालय के आदेश या निर्णय की प्रतिलिपि प्रस्तुत की जाए।
कैवियट बिना अधीनस्थ के निर्णय की प्रतिलिपि के प्रस्तुत की जा सकती है। हालांकि जहाँ किसी आदेश या निर्णय की अपील या रिवीजन की संभावना हो और उस में किसी प्रार्थना पत्र के प्रस्तुत होने की संभावना हो वहाँ कैवियट प्रस्तुत करने पर न्यायालय का कार्यालय आप से उस आदेश या निर्णय की प्रति (वह फोटो प्रति भी हो सकती है) प्रस्तुत करने की अपेक्षा कर सकता है, जिस से उस आदेश या निर्णय के विरुद्ध कोई कार्यवाही संस्थित हो तो उसे वे तुरन्त पहचान सकें। इस से कैवियट प्रस्तुत करने वाले को भी अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सुविधा होती है। किन्तु ऐसी प्रति का कैवियट के साथ प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है।