एम फारूक़ ने पूछा है —
क्या कोई मुस्लिम सरकारी कर्मचारी पहली बीवी के रहते दूसरी शादी कर सकता है? यदि उसके कोई संतान न हुई हो और वह अपनी पत्नी की हर प्रकार से चिकित्सा करा चुका हो।
उत्तर —
फारूक़ भाई!
किसी भी मुस्लिम को एक पत्नी के रहते दूसरा विवाह करने का अधिकार नहीं है। यह शरियत में दी गई छूट है कि वह एक साथ चार पत्नियों से वैवाहिक संबंध रख सकता है, जिस के साथ कुछ शर्तें भी हैं।
सरकार की भी नौकरी देने की शर्त यह है कि उस का कर्मचारी दूसरा विवाह नहीं कर सकता और वह ऐसा करता है तो यह सेवा शर्तों के अनुसार दुराचरण होगा। अभी जनवरी में ही राजस्थान के एक पुलिस कर्मी लियाकत अली के मामले में भारत के उच्चतम न्यायालय ने निर्णय किया है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी बिना अपने नियोजक की अनुमति के एक पत्नी के रहते दूसरा विवाह करता है तो यह दुराचरण है और इस कारण से नियोजक द्वारा उसे नौकरी से निकाला जाना उचित है।
इस निर्णय से स्पष्ट है कि कोई मुस्लिम सरकारी कर्मचारी अपनी व्यक्तिगत विधि के अनुसार एक पत्नी के रहते दूसरा विवाह कर सकता है, वह विवाह वैध होगा। लेकिन यदि उस ने ऐसा कर के दुराचरण किया है तो उसे नौकरी पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। यदि वह अपने नियोजक की अनुमति प्राप्त कर के ऐसा विवाह करता है तो फिर वह दुराचरण नहीं होगा और उसे नौकरी से नहीं निकाला जाएगा।