जितेन्द्र गुप्ता ने पूछा है –
मेरी शादी फरवरी 2010 में हुई थी। शादी के तीन माह बाद मेरी पत्नी मायके चली गई। कोशिश करने पर भी वह नहीं मानी। मुझे मजबूरन धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम में आवेदन करना पड़ा उस का भी जवाब अभी तक नहीं दिया। उस ने भरण-पोषण के लिए धारा 125 दं.प्र.सं. में आवेदन प्रस्तुत कर दिया है, जिस में उस ने दस हजार रुपए खर्चा मुकदमा और पाँच हजार रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण राशि की मांग की है। पत्नी को घर से गए दस माह हो गए हैं। उस के मायके जाने का कारण मुझे भी समझ नहीं आ रहा है, मैं ने एक बार उसे डाँटा भर था। उस के मामा और चाचा ने मेरे परिवार के साथ बद्तमीजी की और झूठ-मूट लिखवा लिया कि मैं ने उस का गला दबाया है और प्रताड़ित किया है। जब कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब तो मेरा परिवार भी उसे पसंद नहीं करता है। क्या मुझे अपनी पत्नी को भरण-पोषण देना पड़ेगा? यदि साल बीतने पर भी मेरी पत्नी धारा-9 के मुकदमे में नहीं आई और जवाब नहीं दिया तो क्या मुझे तलाक की डिक्री मिल जाएगी?
उत्तर –
आप ने धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत किया है और धारा 125-दं.प्र.संहिता के मुकदमे में आप अपनी प्रतिरक्षा कर रहे हैं। आप ने इस काम के लिए वकील से संपर्क किया होगा और सारे तथ्य बताए होंगे। आप को सही और सटीक सलाह आप के वकील दे सकते हैं। लेकिन आप ने मुझ से प्रश्न किया है, इस का अर्थ है कि आप अपने वकील पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। या तो आप को अपने वकील पर विश्वास करना चाहिए, या फिर आप को अपना वकील बदल लेना चाहिए। क्यों कि सही और सटीक सलाह तो वकील ही दे सकता है।
आप ने चाहे दबाव से ही सही लेकिन यह लिख कर दिया है कि आप ने अपनी पत्नी का गला दबाया और उसे प्रताडि़त किया। इस तरह आप की पत्नी प्रथम दृष्टया यह साबित कर सकती है कि उसे के पास आप से अलग रहने का उचित कारण उपलब्ध है। यदि वह यह साबित कर सकी कि उस के पास उचित कारण है तो फिर आप को धारा 125 दं.प्र.सं. के अंतर्गत भरण-पोषण राशि अदा करनी पड़ सकती है। इस के उलट आप को यह साबित करना होगा कि जो कुछ आप का लिखा हुआ है वह दबाव डाल कर लिखवाया गया, जिसे साबित करना आसान नहीं होगा।
आप ने धारा-9 का मुकदमा किया है, जो कि दाम्पत्य अधिकारों की प्रत्यास्थापना के लिए है, न कि तलाक के लिए। यदि आप की पत्नी इस मुकदमे में उपस्थित नहीं होती है तो भी आप को दाम्पत्य अधिकारों की प्रत्यास्थापना ही डिक्री प्राप्त होगी न कि तलाक की। आप को तलाक प्राप्त करने के लिए एक आवेदन और प्रस्तुत कर के धारा-9 के मुकदमे को धारा-13 के मुकदमे में परिवर्तित कराना होगा अथवा तलाक के लिए अलग से आवेदन करना होगा। इस के लिए आप को तलाक के लिए वैधानिक आधार भी तलाशना पड़ेगा। वर्तमान में आप के पास पत्नी द्वारा आप का अभित्यजन एक आधार है, लेकिन यह भी पत्नी के अंतिम बार मायके चले जाने की तिथि से एक वर्ष व्यतीत हो जाने पर ही उपलब्ध हो सकेगा।
अधिक अच्छा तो यह होगा कि दोनो
ं पक्ष मिल कर आपस में कोई समझौता कर लें। यदि आप की पत्नी भी तलाक के लिए सहमत हो जाए तो आप सहमति से तलाक के लिए आवेदन कर दें। वह अधिक आसान होगा। इस काम के लिए किसी मध्यस्थ की तलाश करनी चाहिए। क्यों कि अदालत से मामला अंतिम होने तक बहुत समय गुजर जाएगा। इस बीच आप को धारा-125 में भरण-पोषण राशि अपनी पत्नी को अदा करनी पड़ सकती है।
ं पक्ष मिल कर आपस में कोई समझौता कर लें। यदि आप की पत्नी भी तलाक के लिए सहमत हो जाए तो आप सहमति से तलाक के लिए आवेदन कर दें। वह अधिक आसान होगा। इस काम के लिए किसी मध्यस्थ की तलाश करनी चाहिए। क्यों कि अदालत से मामला अंतिम होने तक बहुत समय गुजर जाएगा। इस बीच आप को धारा-125 में भरण-पोषण राशि अपनी पत्नी को अदा करनी पड़ सकती है।