तीसरा खंबा

डॉ. निरूपमा वर्मा आज क्यों बहुत खुश हैं?

दोस्तों !

ज मै बहुत खुश हूँ – इतनी कि खुशी के आंसू छलछला आये . जानते हैं, क्यों?  क्योंकि पिछले तीन महीने के मेरे प्रयास से एक टूटते हुए दाम्पत्य जीवन का पुनः घर बस गया।  दो वर्ष पहले ही उनकी शादी हुई थी, पति –पत्नी और सास –ससुर यही उनका परिवार .. जैसा कि होता है ….सास –बहु का झगडा …और पति –पत्नी कि लड़ाई — झगडा इतना बढ़ जाता कि पति मार –पीट करने लगता ..पत्नी ने एक दिन आत्महत्या की कोशिश की….बच तो गयी ..लेकिन अपने मायके आ गयी …कुछ लोगों ने लड़की वालों को सलाह दी . कि घरेलू-हिंसा का मुकदमा लड़के पे करने की.. इस बीच किसी ने लड़की से मुझसे मिलने के लिए कहा …मैंने सारी बात सुनी।

दोस्तों!

मुझे लगा कि मुकदमे दिलों को तोड़तें है ….अतः मैंने दोनों पक्षों से बात की..पति –पत्नी को कई बार अपने घर बुला के काउंसलिंग की ….परिणाम आप के सामने है ..एक हफ्ते पहले ही पति अपनी पत्नी को उसके मायके से बिदा कर घर ले आया . आज मैंने दोनों से बात की; दोनों खुश हैं …और मैं भी …

….. डॉ. निरूपमा वर्मा, एटा, (उत्तर प्रदेश)

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