तीसरा खंबा

दबाव और असुरक्षा ने पत्नी को मानसिक रोगी बनाया है, सहानुभूति पूर्वक उस की चिकित्सा कराएँ।

Headache_paintingसमस्या-
राजेश ने जयपुर, राजस्थान से पूछा है-

मेरी शादी बचपन मे मेरे पेरेंट्स ने करदी थी, लेकिन मेरा गौना मेरी 25 साल की उम्र में हुआ था। मैं ने ग्रेजुएशन किया है और मेरी पत्नी पढ़ी-लिखी नहीं है।  अभी मेरे 2 बच्चे हैं एक 11 वर्ष का और एक 7 वर्ष का। शादी के 2-3 साल तक मेरी पत्नी का स्वभाव बिल्कुल ठीक था। लेकिन उस के बाद उस के स्वभाव में बदलाव आ गया। अब वो बहुत ज्यादा चिल्लाना और बात बात पर गुस्सा करना लड़ाई करना और घर में मेरी माता जी से ग़लत बोलना, ये सब करती रहती है। हम ने उसको बहुत समझाया कि कोई प्राब्लम है तो बैठ कर शांति से बोलो उसका समाधान निकालेंगे। लेकिन वो तो मानती ही नहीं 2-3 दिन ठीक रहती है और फिर से वापस वही सब करने लगती है। अब मुझे अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है। क्यों कि बच्चों पर भी असर पड़ने लगा है और हमारी इज़्ज़त भी खराब होती है। कॉलोनी में सभी को मालूम हो गया है कि इन के घर में क्या हो रहा है?  आप से चाहता हूँ कि क्या हम लोग तलाक़ ले सकते हैं। मैं बच्चों को किसी भी हालत में उस के पास नहीं छोड़ सकता हूँ। मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ। मेरी सेलरी 10000.00 प्रति माह है। मेरे घर में मेरी माता जी, मैं व मेरे 2 बच्चे हैं।

समाधान-

स समस्या का इलाज तलाक तो बिलकुल भी नहीं है। आप यदि तलाक के लिए आवेदन करते हैं तो उस से कई नई समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं। आप की पत्नी मायके जा कर आप पर दहेज, क्रूरता आदि के मुकदमे कर सकती है। वैसी अवस्था में आप की आय में आप उन सब का मुकाबला करने में स्वयं को असमर्थ पाएंगे और अनेक परेशानियों में पड़ जाएंगे।

में लगता है किन्हीं कारणों से आप की पत्नी पर मानसिक दबाव पड़ा है और वह स्वयं को असुरक्षित पाती है, जिस से उन की मानसिक अवस्था ठीक नहीं है। हमारी सब से पहली सलाह है कि आप को अपनी पत्नी के स्वभाव में परिवर्तन और उस के लगातार उग्र होते जाने की जानकारी किसी मनोचिकित्सक को दे कर उस से सलाह लेनी चाहिए। हमारे समाज में किसी भी व्यक्ति को मनोचिकित्सक के पास ले जाना अत्यन्त कठिन कार्य होता है। इस कारण पहले आप मनोचिकित्सक से मिल कर उस से राय कर लें। फिर जब भी कभी मामूली तौर पर आप की पत्नी का शारीरिक स्वास्थ्य खराब हो तो उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाएँ। मनोचिकित्सक स्वयं ही आप की पत्नी की तत्कालीन शारीरिक अवस्था के बारे में जानकारी करने के साथ साथ उस से उस की मानसिक अवस्था के बारे में भी पूछताछ करे और शारीरिक कष्टों का कारण उस के स्वभाव को बताते हुए स्वयं उस के स्वभाव को बदलने की सलाह दे तो इस तरह आप की पत्नी के स्वभाव में धीरे धीरे परिवर्तन आ सकता है।

 आप की पत्नी की मानसिक चिकित्सा के दौरान यदि वह सहयोग नहीं करती है तो उस पर दबाव बढ़ाने की गरज से आप उसे कह सकते हैं वे आप से अलग रहने का मुकदमा कर के न्यायालय से डिक्री प्राप्त कर लेंगे। आप उस के लिए न्यायिक क्रूरता के आधार पर पृथक्करण की डिक्री प्राप्त करने के लिए पारिवारिक न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं। उस में आप सारे तथ्य प्रकट करते हुए न्यायालय से कह सकते हैं कि आप अपनी हैसियत के अनुसार अपनी पत्नी को खर्चा देने को तैयार हैं लेकिन उस के साथ न तो खुद रह सकते हैं और न ही अपने बच्चों को रख सकते हैं। इस कारण न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पारित की जाए और पत्नी आप से व आप के परिवार से दूर कहीं रहे। यह आवेदन और इस की प्रक्रिया भी आप की पत्नी के स्वभाव को सुधारने में सकारात्मक भूमिका अदा कर सकती है।

स्तुतः हमारी नजर में आप की पत्नी बुरी नहीं है।  लेकिन परिस्थतियों ने उसे रोगी बना दिया है। आवश्यकता इस बात की है कि आप उस के प्रति सहानुभूति का रवैया अपनाएँ और उसे स्वस्थ होने में मदद करें। यदि आप का दृष्टिकोण सकारात्मकर रहा तो आप इस समस्या को बिना खुद को अनेक समस्याओं में डाले बिना हल कर सकते हैं।

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